नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि साढ़े तीन साल पहले ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की शुरूआत होने के बाद से राजधानी दिल्ली में एक भी शौचालय नहीं बनाया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस उद्देश्य के लिए निर्धारित 40.31 करोड़ रुपये का कोष बेकार पड़ा है।
मंगलवार को दिल्ली विधानसभा में पेश नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘आप’ नीत दिल्ली सरकार ने कार्यान्वयन एजेंसियों को उनकी जरूरत के मुताबिक मिशन का कोष आवंटित नहीं किया।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली की तीनों नगर निगम, दिल्ली शहर आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) समेत कार्यान्वयन एजेंसियों को राज्य का हिस्सा 10.08 करोड़ रुपये सहित 40.31 करोड़ रुपये प्राप्त हुए लेकिन मार्च 2017 तक इस पैसे का इस्तेमाल नहीं किया गया।
सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, एनडीएमसी, एसडीएमसी और डीसीबी घरेलू शौचालयों की जरूरत का आकलन नहीं कर पाई लेकिन घरेलू शौचालयों के निर्माण के लिए उन्हें 16.92 करोड़ रुपये जारी किए गए।
इसमें कहा गया है कि शहर में झुग्गी झोपड़ी और जेजे क्लस्टर को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए जिम्मेदार एजेंसी डीयूएसआईबी को दिल्ली सरकार से राज्य सरकार का हिस्सा नहीं मिला।
रिपोर्ट के मुताबिक, डीयूएसआईबी को (जनवरी 2016 तक) 6.86 करोड़ रुपये मिले, जिसमें राज्य का 1.71 करोड़ रुपये (कुल लागत का 25 फीसदी) का हिस्सा भी शामिल था, जबकि उसे 41.49 करोड़ रुपये की जरूरत थी।