सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हमारा संविधान देश के वंचितों की आवाज है। इसकी समझ ने संकट के क्षण में हमारा मार्गदर्शन किया है।
चीफ जस्टिस ने संविधान दिवस के अवसर पर एक कार्य्क्रम में कहा कि संविधान के तहत सावधानीपूर्वक सलाह देना हमारी सबसे अच्छी रुचि है। यदि हम ऐसा नहीं करते हैं, तो हमारे घमंड का परिणाम अराजकता होगा। उन्होंने कहा कि जब इसे लागू किया गया तो हमारे संविधान की आलोचना की गई।
'सात दशकों में महान शक्ति के साथ खड़ा है'
उन्होंने कहा कि सर इवर जेनिंग्स ने इसे बहुत बड़ा और कठोर कहा। समय ने इस आलोचना को कमजोर कर दिया और यह गर्व की बात है कि पिछले सात दशकों में हमारा संविधान महान शक्ति के साथ खड़ा है।
वहीं, इस मौके पर मौजूद केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि भारतीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अपने निहित विश्वास की तुलना में उनके धर्म, जाति, समुदाय, आर्थिक स्थिति या साक्षरता, भारत के संवैधानिक शासन की सबसे सटीक परिभाषा है।
इससे पहले संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर चीफ जस्टिस गोगोई ने उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डिनर पर आमंत्रित किया।
देश में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। इस दिन डॉ. भीमराव अंबेडकर को याद किया जाता है। उन्होंने भारतीय संविधान के रूप में दुनिया का सबसे बड़ा संविधान तैयार किया है।