हरियाणा के खरक पूनिया में आयोजित महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र यह न सोचे कि किसान फसल की कटाई के लिए वापस चले जाएंगे और आंदोलन खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हम अपनी फसलों को जला देंगे लेकिन वापस नहीं जाएंगे।
वहीं, विरोध कर रहे किसान यूनियन के नेता राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर एक बड़ी सभा के साथ अपने धरने के तीन महीनों को चिह्नित करने की तैयारी कर रहे हैं। अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा, "यह मत सोचिए कि विरोध खत्म हो गया है, हम कई महापंचायतों के माध्यम से लोगों तक पहुंच रहे हैं।", संयुक्ता किसान मोर्चा का छात्र संगठन, अब 26 फरवरी को दिल्ली की सीमाओं पर बड़ी रैली की तैयारी कर रहा है।
राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार यह न सोचे कि विरोध दो महीने में खत्म हो जाएगा। हम फसल कटाई के साथ-साथ विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि फसलों की कीमतों में वृद्धि नहीं हुई है, लेकिन ईंधन की कीमतें बढ़ गई हैं। जरूरत पड़ी तो हम अपने ट्रैक्टरों को पश्चिम बंगाल में भी ले जाएंगे। किसानों को वहां भी एमएसपी नहीं मिल रही है।
भाकियू नेता राकेश टिकैत ने किसानों से आह्वान किया कि उन्हें एक फसल की कुर्बानी देनी पड़ सकती है। सरकार कहती है फसल की कटाई का समय आ गया है, इसलिए किसान वापस गांव चले जाएंगे, लेकिन किसान फसल की कुर्बानी देने को तैयार रहें। किसानों ने हाथ उठाकर टिकैत की बात का समर्थन किया।
राकेश टिकैत ने कहा कि अभी तक हमने लाठी दिखाई थी, अब खेत में इस्तेमाल होने वाले औजार लेकर दिल्ली जाएंगे. टिकैत ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि 40 लाख टैक्ट्रर लेकर दिल्ली आएंगे। सरकार की गलतफहमी को दूर करना होगा। फसल भी काटेंगें और आंदोलन भी करेंगे। उन्होंने कहा कि ये किसानों की बिरादरी है। ये कौम की लड़ाई नहीं है बल्कि सरकार इसे गलत समझ रही है।. सरकार का पहली बार मज़बूत लोगों से पाला पड़ा है।