पत्र में कहा गया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के दीपक पटेल के नेतृत्व में वैज्ञानिकों द्वारा विकसित जीएम सरसों स्वदेशी नहीं है। इतना ही नहीं इसकी जीन का पेटेंट भी बहुराष्ट्रीय बीज कंपनी बायर क्रॉप साइंस के नाम पर कराया गया है। जीएम सरसों को स्वदेशी बताना और इसे भारत में विकसित करने की बात कहना गलत है। स्वदेशी जागरण मंच के सह संयोजक अश्वनी महाजन ने आज पत्रकारों से कहा कि इसी उत्पाद के वाणिज्यिक अनुमोदन के लिए बायर की सहयोगी कंपनी प्रोएग्रो सीड कंपनी ने 2002 में आवेदन किया था।
इस महीने की शुरुआत में पर्यावरण मंत्रालय के अंदर काम करने वाली नियामक संस्था आनुवंशिक इंजीनियरिंग अनुमोदन समिति (जीईएसी) ने जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती की संस्तुति की है। स्वदेशी जागरण मंच ने कहा कि जीईएस ने काफी जल्दबाजी में यह संस्तुति की है। इस बात का कोई टेस्ट नहीं किया गया कि इसका मानव के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ेगा। इतना ही नहीं वैज्ञानिकों ने इसके उत्पादन के बारे में भी गलत जानकारी दी। स्वदेशी जागरण मंच ने आरोप लगाया कि बायर को डेवलपर द्वारा किए जाने वाले रॉयल्टी भुगतान की जानकारी भी गुप्त रखी गई। पत्रकारों से बातचीत के दौरान जीएम का विरोध करने वाली वंदना शिवा और अरुणा रोड्रिग्स भी मौजूद थीं। (एजेंसी)