समाजवादी पार्टी शनिवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में लोकसभा चुनाव की रणनीति तय करेगी। बैठक में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और उनके अनुज शिवपाल सिंह यादव के भी शामिल होने की उम्मीद है। हालांकि अभी तक शिवपाल कार्यकारिणी के सदस्य नहीं हैं। क्योंकि अखिलेश के सपा की कमान संभालते ही चाचा शिवपाल सिंह यादव को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था, लेकिन पिछले कुछ समय दोनों के बीच रिश्तों में कड़वाहट कम हुई है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में गठित 55 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी में फिलहाल मुलायम सिंह यादव (नेताजी) और विधायक शिवपाल सिंह यादव का नाम शामिल नहीं है। आगरा में हुए पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में मतभेद के कारण दोनों शामिल नहीं हुए थे।
शिवपाल की रामगोपाल यादव के साथ पिछले कुछ समय में रिश्तों तकरार कम हुई है और पिछले दिनों वह रामगोपाल यादव के जन्मदिन के मौके पर भी गए थे और जहां दोनों ने एक दूसरे को गले लगाया था। लिहाजा अब तय माना जा रहा है कि शिवपाल को पार्टी में कोई अहम पद दिया जा सकता है।
फिलहाल, बैठक के मद्देनजर पार्टी के प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने कार्यकारिणी के पदाधिकारियों, सदस्यों और विशेष आमंत्रित सदस्यों को औपचारिक पत्र भेजा है, लेकिन यह साफ नहीं है कि शिवपाल को आमंत्रण भेजा गया है या नहीं।
सपा के गठन के बाद यह पार्टी की 11वीं राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक होगी। इसमें लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी का बहुजन समाज पार्टी और समान विचारधारा वाली पार्टी कांग्रेस और रालोद के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन (प्री पोल) के साथ पार्टी प्रत्याशी चयन के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश को अधिकार सौंपा जा सकता है।
पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बीते दिनों यूपी में लोकसभा की तीन में से दो और विधानसभा की एक सीट पर भाजपा को परास्त कर विजय हासिल करने के मद्दनेजर चर्चा होगी। बैठक में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यूपी के अलावा अन्य राज्यों में भी सपा उम्मीदवार लड़ाने पर विचार होने की उम्मीद है। यूपी में हुए लोकसभा उपचुनाव में जीत के बाद से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बसपा नेत्री मायावती के साथ रिश्ते बेहतर हुए हैं। लिहाजा मायावती की तरफ से भी इस गठबंधन पर सहमति है, लेकिन इसकी घोषणा दोनों तरफ से नहीं हुई है।
मुलायम करेंगे सपा का प्रचार
समाजवादी पार्टी के संरक्षक और सांसद मुलायम सिंह यादव आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार करेंगे। मुलायम सिंह के प्रचार में उतरने से सपा को फायदा होगा, लेकिन सपा और बसपा के संभावित गठबंधन को देखते हुए मुलायम का सपा के पक्ष में प्रचार करने में बसपा खेमा नाराज भी सकता है। लिहाजा पार्टी फिलहाल इस पर खुलकर नहीं बोल रही है। प्रदेश में मुख्य विपक्ष दल सपा ने भी इन चुनावों के लिए तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं।
लिहाजा सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रचार की कमान संभालेंगे। मुलायम चुनाव के मद्देनजर प्रदेश के हर मण्डल मुख्यालय पर सपा की एक रैली करेंगे। इसमें सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के भी मौजूद रहने की बात कही जा रही है।
मुलायम चुनाव प्रचार में उतरते हैं तो यह सपा और खासकर अखिलेश यादव के लिए खासी राहत देने वाली बात होगी। क्योंकि विधानसभा चुनाव में मुलायम ने इटावा में अपने अनुज शिवपाल सिंह यादव के पक्ष में जसवंतनगर विधानसभा को छोड़ अन्य किसी भी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार नहीं किया था। जिसका खामियाजा सपा को भुगतना पड़ा था और सपा की हार के कारणों में मुलायम के प्रचार नहीं करने को भी एक वजह माना गया। हालांकि उस वक्त यादव परिवार में सियासी जंग तेज थी।