सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के लाल किले पर हमले का दोषी और मास्टरमाइंड लश्कर-ए-तैयेबा का आतंकी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक आरिफ की फांसी की सजा बरकरार रखी है। दरअसल, कोर्ट ने शीर्ष अदालत के पहले के आदेश को चुनौती देने वाली मोहम्मद आरिफ की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है।
बता दें कि आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किए गए हमले में दो सैनिकों समेत 3 लोगों की जान गई थी।
लाल किले पर 22 दिसंबर 2000 को आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने हमला किया था। इस हमले में दो सैनिकों समेत 3 लोग की जान गई थी। हमले के बाद भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई में लाल किला में घुसपैठ करने वाले 2 आतंकवादी भी मारे गए थे। इस मामले में 31 अक्टूबर 2005 को निचली अदालत ने मोहम्मद आरिफ को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी।
मोहम्मद आरिफ ने निचली अदालत से मौत की सजा मिलने के बाद 2013 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने आरिफ की फांसी की सजा को बरकरार रखते हुए पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने आरिफ की क्यूरेटिव याचिका भी खारिज कर दी थी। अब फिर सुप्रीम कोर्ट ने दोषी की सजा को लेकर दायर की गई पुनर्विचार याचिका को भी खारिज कर दिया है।