छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। शुक्रवार को इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि यह अहम मामला है और इसे टाला नहीं जा सकता है। दो सप्ताह के भीतर शुरुआती जांच रिपोर्ट आए ताकि इस पर फैसला हो सके कि इसकी विस्तार से जांच जरूरी है या नहीं। कोर्ट ने मामले में कई अहम निर्देश दिए हैं। जानें, क्या है फैसले की अहम बातेंः
-सीबीआई के अंतरिम डायरेक्टर नागेश्वर राव कोई नीतिगत फैसले नहीं लेंगे। उन्हें सिर्फ रूटीन काम करना होगा।
-नागेश्वर राव की ओर से लिए गए सभी फैसले बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपे जाएं।
-डायरेक्टर आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी की जांच दो हफ्ते में खत्म करनी होगी।
-सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एके पटनायक आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी जांच की निगरानी करेंगे।
-राकेश अस्थाना के मामले में अलग से याचिका दायर करने के निर्देश।
- केंद्र सरकार को नोटिस जारी, किस आधार पर आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजा।
-नागेश्वर राव से 23 अक्तूबर सुबह 11.30 बजे से 26 अक्तूबर तक किए गए ट्रांसफर और बदलियों की जानकारी मांगी।
-सीजेआई ने कहा, हम यह देखेंगे कि एजेंसी की ओर से कौन-कौन से अंतरिम आदेश पारित किए गए।
ये है मामला
सीबीआई ने स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना और कई अन्य के खिलाफ कथित रूप से मीट कारोबारी मोइन कुरैशी की जांच से जुड़े सतीश साना नाम के व्यक्ति के मामले को रफा-दफा करने के लिए घूस लेने के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी। इसके एक दिन बाद डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया। इस गिरफ्तारी के बाद मंगलवार को सीबीआई ने अस्थाना पर उगाही और फर्जीवाड़े का मामला भी दर्ज किया।
सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी इस जंग के बीच, केंद्र ने सतर्कता आयोग की सिफारिश पर दोनों अधिकारियों को छु्ट्टी पर भेज दिया और जॉइंट डायरेक्टर नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बना दिया गया। चार्ज लेने के साथ ही नागेश्वर राव ने मामले से जुड़े 13 अन्य अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया।