सुप्रीम कोर्ट के नोटिस पर जस्टिस कर्णन के अदालत में पेश न होने के बाद चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय बेंच ने उन्हें कारण बताओ नोटिस का जवाब देने को कहा है। साथ ही अदालत में पेश होने के लिए उन्हें और तीन सप्ताह का समय दे दिया। चीफ जस्टिस खेहर ने कहा कि उनके अदातल में पेश न होने की वजह पता नहीं है, इसलिए सुनवाई को टाला जा रहा है।
आज सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने जस्टिस कर्णन के नए खत का भी जिक्र किया। अवमानना का नोटिस जारी होने के बाद रजिस्ट्रार जनरल को लिखे गए नए खत में जस्टिस कर्णन ने कहा कि दलित होने की वजह से उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट के ऊंची जाति के जज दलित जजों को हटाने के लिए अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस खेहर के रिटायर होने के बाद करने की मांग की है। इसके अलावा जस्टिस कर्णन ने कहा है कि उनके न्यायिक और प्रशासनिक कार्यभार उन्हें लौटाया जाए।
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने गत सप्ताह जस्टिस कर्णन को इस मामले में नोटिस जारी कर, 13 फरवरी को पेश होने के लिए कहा था। इससे पहले उनके सभी प्रशासनिक और न्यायिक कार्यों को वापस ले लिया गया था। जस्टिस कर्णन को यह नोटिस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे खुले खत पर जारी किया गया था, जिसमें उन्होंने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के 20 जजों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। भाषा