संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में सीलमपुर इलाके में हुए हिंसक प्रदर्शनों के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए 10 लोगों को दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को जमानत दे दी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ललित कुमार ने प्रत्येक आरोपी को 15,000-15,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि पर जमानत दी है। इस मामले में अब तक 12 को जमानत मिल चुकी है।
अदालत ने सीलमपुर हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार 11 लोगों को 18 दिसंबर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा था। इस मामले में तीन लोगों को बाद में गिरफ्तार किया गया और दो को पहले ही जमानत मिल चुकी है।
पुलिस कुछ भी साबित नहीं कर पाई
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ललित कुमार ने कहा कि "एमएलसी रिपोर्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों की चोट सामान्य है। इसके अलावा, सीसीटीवी फुटेज के आधार पर कुछ भी साबित नहीं हुआ है। आरोपियों को जेल में रखे हुए एक महीना हो गया है। न तो दिल्ली पुलिस और न ही क्राइम ब्रांच कुछ साबित कर पाई है।''
फर्जी मामला दर्ज करने की दी दलील
मामले में आरोपियों के वकील जाकिर रजा ने सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि पुलिस ने उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 307 के तहत एक फर्जी मामला दर्ज किया था। रजा ने कहा, "पुलिस ने सीलमपुर इलाके में घर से लोगों को उठाया था और दोपहर में उन्हें गिरफ्तार कर लिया था, जबकि प्राथमिकी रात में दर्ज की गई थी। पुलिस ने इलाके में आंसू गैस के गोले छोड़े और इलाज के लिए जा रहे घायल लोगों को गिरफ्तार किया।"
बढ़ा दी थी न्यायिक हिरासत
उन्होंने कहा, "पुलिस सबूत के नाम पर टूटे हुए कांच को दिखाकर यह साबित करना चाहती है कि इन लोगों ने हिंसा की है।" 2 जनवरी को चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विनोद कुमार गौतम ने 14 आरोपियों की न्यायिक हिरासत 16 जनवरी तक बढ़ा दी थी। मामले के दो अभियुक्तों को पहले मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत दे दी गई थी।
31 दिसंबर को दिल्ली की अदालत ने इस महीने की शुरुआत में सीलमपुर में सीएए को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शन में गिरफ्तार दो आरोपी व्यक्तियों को जमानत दे दी थी। दिल्ली पुलिस ने 17 दिसंबर को विरोध प्रदर्शन के दौरान 16 लोगों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद, अदालत ने उन्हें एक दिन बाद 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों के साथ कथित तौर पर झड़प की थी और विरोध के दौरान तीन बसों में तोड़फोड़ की थी। घटना में कई लोग घायल भी हुए थे।