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शांति बहाली के लिए सीएम शिवराज सिंह ने किया अनशन शुरू

मदसौर के किसानों के आंदोलन से चौतरफा घिरे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को दशहरा मैदान पर बेमियादी अनशन शुरू किया तथा किसानों को समस्याओं पर चर्चा के लिए खुला न्यौता दिया। करीब 45 मिनट तक दिए भाषण में मुख्यमंत्री ने एक भी बार कांग्रेस का नाम नहीं लिया। इस बीच प्रदेश के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा कि किसानों के कर्ज माफ करने का कोई सवाल ही नहीं उठता, मैं पहले भी इसके पक्ष में नहीं था और अब भी नहीं हूं। तो वहीं विपक्षी कांग्रेस ने अनशन को राजनैतिक ड्रामा बताया।
शांति बहाली के लिए सीएम शिवराज सिंह ने किया अनशन शुरू

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब-जब प्रदेश में किसानों पर संकट आया, मैं सीएम आवास से निकलकर उनके बीच पहुंच गया। हम नया आयोग बनाएंगे जो फसलों की सही लागत तय करेगा। उस लागत के हिसाब से हम किसानों को सही कीमत दिलाएंगे। किसान आग न लगाएं, चर्चा के लिए आएं। अनशन से पहले शिवराज और उनकी पत्नी साधना सिंह ने पूर्व सीएम कैलाश जोशी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। जोशी ने तिलक कर सफल होने की शुभकामनाएं दी। सीएम के उपवास के लिए दशहरा मैदान पर वाटरप्रूफ पंडाल बनाया गया। फिलहाल मंदसौर में फिलहाल हालात सामान्य बताए जाते हैं। उधर, गृहमंत्रालय सभी पड़ोसी राज्यों को अलर्ट किया है। हिंसा में घिरे इलाकों में सुरक्षा के लिए कुल 13 कंपनियां तैनात की गई हैं।

 मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा कि जो जैसा व्यवहार करेगा, उसके साथ वैसे ही निपटा जाएगा। यह आंदोलन अब किसानों का नहीं रहा। राहुल गांधी यहां क्यों आए थे, उनका जन्म मप्र में हुआ है क्या? किसानों के कर्ज माफी का कोई सवाल ही नहीं उठता, मैं पहले भी इसके पक्ष में नहीं था और अब भी नहीं हूं। जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि सरकार ने किसानों को बातचीत के लिए खुला मंच दिया है। वे यहां आकर अपनी समस्या रख सकते हैं। राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि यह सरकार किसानों की है। हम हरसंभव मदद के लिए तैयार हैं। किसानों से अपील है कि वे शांति बनाए रखें और सीएम के सामने अपनी मांगें रखें।

विपक्ष ने बताया राजनैतिक ड्रामा

विपक्षी कांग्रेस ने इस अनशन को राजनैतिक ड्रामा बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को किसानों की समस्याएं दूर करने के प्रयास करने चाहिए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा कि खुद को संवेदनशील मुख्यमंत्री बताने वाले चौहान छह किसानों की मौत के बाद मंदसौर नहीं गए, यहां तक कि बालाघाट में एक पटाखा फैक्टरी में हुए विस्फोट में 25 लोगों की मौत के बाद उन्होंने वहां भी जाना मुनासिब नहीं समझा। वे सिर्फ ड्रामा कर  मुद्दों से भटकाने की कोशिश करते रहे हैं। यह अनशन भी इसी का हिस्सा है।

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