सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि क्या बिना शादी के लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के बाद शादी से मुकरने पर महिला के प्रति पुरुष की कोई जिम्मेदारी बनती है या नहीं। उच्चतम न्यायालय ने सवाल किया है कि क्या ऐसे में पुरुष को महिला को गुजाराभत्ता देना होगा? सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने ये सवाल करते हुए अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी कर उनसे सहायता मांगी है।अदालत ने इस पर केंद्र सरकार से उसकी राय मांगी है।
जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और अब्दुल नजीर की बेंच ने यह बात कही है। सुप्रीम कोर्ट लिव इन रिलेशन में रहने वाली महिलाओं को घरेलू हिंसा कानून के तहत आने, गुजारा भत्ता पाने और संपत्ति में हिस्सा पाने के योग्य करार चुका है। अब कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या लंबे समय तक चले करीबी रिश्तों को 'शादी जैसा' माना जा सकता है? रिश्ते को 'शादी जैसा' मानने का पैमाना क्या होना चाहिए? कितने वक्त तक चले रिश्ते को ऐसा दर्जा दिया जाए?
मामले की गंभीरता को समझते हुए सुप्रीम कोर्ट बेंच ने सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी को इस मामले में मदद के लिए एमिकस क्यूरी के तौर पर नियुक्त किया है। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को भी निवेदन करते हुए नोटिस जारी किया है कि इस मामले में मदद के लिए अडिशनल सॉलिसिटर जनरल को नियुक्त किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति की उस पर लगे रेप के आरोप के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया है। इस व्यक्ति पर आरोप लगाने वाली महिला एक बच्ची की मां है, जो उसके साथ 6 साल से रह रही है। आरोपी ने पहले महिला से शादी का वादा किया था, बाद में मुकर गया।