दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और कल तक प्रदूषण नियंत्रण को लेकर किए जा रहे उपायों पर हलफनामा देने को कहा है और जल्द से जल्द प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएं। कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि प्रदूषण कम हो, हमें राजनीति से कोई मतलब नहीं है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि आपात बैठक बुलाएं और दिल्ली, पंजाब और हरियाणा सरकारों को एक साथ बैठाकर प्रदूषण की समस्या का हल निकालें। मामले पर सुप्रीम कोर्ट अब बुधवार को सुनवाई करेगा।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली और उत्तरी राज्यों में वर्तमान में पराली जलाना प्रदूषण का प्रमुख कारण नहीं है क्योंकि यह प्रदूषण में केवल 10 फीसदी योगदान देता है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वायु प्रदूषण में उद्योग और सड़क की धूल की बड़ी भूमिका है। जस्टिस सूर्यकांत ने केंद्र से सवाल किया, "क्या आप सैद्धांतिक रूप से इस बात से सहमत हैं कि पराली जलाना कोई प्रमुख कारण नहीं है और यह "हल्ला" वैज्ञानिक और कानूनी आधार के बिना था।" जब केंद्र के वकील ने इसे स्वीकार कर लिया, तो न्यायाधीश ने कहा कि "दिल्ली सरकार के हलफनामे का कोई मतलब नहीं है" क्योंकि वे "केवल किसानों को दोष दे रहे हैं।"
कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि हमने पिछली सुनवाई में कहा था कि स्थिति बहुत खराब है, तत्काल उपाय करने की जरूरत है। आपने जो बताए हैं वे सारे लॉन्ग टर्म सॉल्यूशन हैं। हमें तत्काल सॉल्यूशन चाहिए। वहीं, केंद्र सरकार दिल्ली में लॉकडाउन के पक्ष में नहीं। सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट में कहा कि दिल्ली सरकार को दो उपायों पर सोचना था ऑड इवन और दिल्ली में ट्रकों की एंट्री पर बैन. लॉक डाउन कड़ा कदम होगा।
कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से कल शाम तक जवाब मांगा है कि किन उद्योगों को रोका जा सकता है, किन वाहनों को चलने से रोका जा सकता है और किन बिजली संयंत्रों को रोका जा सकता है और आप तब तक वैकल्पिक बिजली कैसे उपलब्ध करा सकते हैं। साथ ही वर्क फ्रॉम होम लागू करने पर भी विचार करें।
सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामें दिल्ली सरकार ने कहा कि, वह पूर्ण लॉकडाउन जैसे कदम उठाने के लिए तैयार है, लेकिन एनसीआर के लिए भी लॉकडाउन की जरूरत है। हालांकि दिल्ली सरकार ने कहा कि लॉकडाउन का केवल सीमित प्रभाव होगा। वायु प्रदूषण के मुद्दे को एयरशेड स्तर पर हल करने की जरूरत है। कोर्ट ने केजरीवाल सरकार से कहा कि, प्रचार कम, काम ज्यादा कीजिए, कितना पैसा आप अपना प्रचार करने के लिए खर्च करते हैं और कितना पैसा प्रदूषण नियंत्रण के लिए, इसके ऑडिट करने का आदेश देने के लिए हमें मजबूर मत करिए।