भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि दोषी का प्रत्यर्पण हो या नहीं, सज़ा पर फैसले के लिए और इंतज़ार नहीं किया जाएगा। 18 जनवरी 2022 को अंतिम सुनवाई की जाएगी। माल्या को 2017 में ही सुप्रीम कोर्ट ने अपनी अवमानना का दोषी करार दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हम पर्याप्त इंतजार कर चुके हैं, अब इससे ज्यादा और प्रतीक्षा नहीं की जा सकती। विजय माल्या के खिलाफ अवमानना के इस मामले का किसी न किसी स्तर पर निपटारा करना ही होगा। अब इस प्रक्रिया को समाप्त हो जाना चाहिए। जस्टिस यू यू ललित की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने कहा है कि दोषी अपने वकील के माध्यम से पक्ष रख सकता है। कोर्ट ने वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता को मामले में अपनी सहायता के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है।
माल्या को डिएगो डील के 40 मिलियन डॉलर अपने बच्चों के विदेशी एकाउंट में ट्रांसफर करने और सम्पत्ति का सही ब्यौरा न देने के लिए अवमानना का दोषी करार दिया गया था। उसकी पुनर्विचार याचिका भी खारिज की जा चुकी है। इससे पहले 5 अक्टूबर 2020 को यह मामला कोर्ट में लगा था। तब जजों ने इस बात पर हैरानी जताई थी कि यूके की अदालत में प्रत्यर्पण कि कानूनी लड़ाई हार जाने के बाद भी विजय माल्या अब तक वहां कैसे जमा है। तब केंद्र के वकील ने कोर्ट को बताया था कि भारत सरकार की तरफ से प्रत्यर्पण की सारी कानूनी प्रक्रिया पूरी कर लेने के बाद अब यूके में कोई गुप्त कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। भारत सरकार को इसमें पक्ष नहीं बनाया गया है।
विजय माल्या मार्च 2016 से ब्रिटेन में रह रहा है। वह अपनी बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस से जुड़े 9000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक कर्ज धोखाधड़ी के मामले में आरोपियों में से एक है। फिलहाल प्रत्यर्पण के एक मामले में जमानत पर बाहर चल रहा है।