बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने नए एससी-एसटी एक्ट यानी 2018 में संशोधित एससी-एसटी कानून पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट 19 फरवरी को करेगा।
क्या था मामला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मार्च 2018 को एससी-एसटी एक्ट कानून में संशोधन किया था। इसे लेकर केंद्र ने पुर्नविचार याचिका दाखिल की थी। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एससी एक्ट कानून के अंतर्गत तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। लेकिन उसके बाद कानून में संशोधन करने के बाद सरकार ने वही प्रावधान फिर जोड़ा था। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 20 मार्च को दिये गए फैसले में एससी-एसटी कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए दिशा निर्देश जारी किए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी-एसटी अत्याचार निरोधक कानून में शिकायत आने के बाद तुरंत मामला दर्ज न हो बल्कि पहले डीएसपी शिकायत की प्रारंभिक जांच करें कि मामला झूठा या दुर्भावना से प्रेरित न हो। कानून में यह भी है कि एफआईआर दर्ज होने पर दोषी को तुरंत गिरफ्तार न किया जाए। और यदि दोषी कोई सरकारी कर्मचारी है तो गिरफ्तारी से पहले अधिकारी की अनुमति ली जाए और गैर सरकारी कर्मचारी के लिए एसएसपी की मंजूरी जरूरी हो। पहले यह गैरजमानती कृत्य था लेकिन कोर्ट ने अग्रिम जमानत का रास्ता भी खोल दिया था। लेकिन अब जब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि एससी-एसटी अत्याचार निवारण (संशोधन ) कानून 2018 पर फिलहाल रोक नहीं है तो पुरानी ही व्यवस्था होगी। यानी अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी और गिरफ्तारी से पहले इजाजत लेने की भी जरूरत नहीं होगी
एक साथ होगी सुनवाई
अब फैसले के खिलाफ सरकार की पुर्नविचार याचिका और कानून में बदलाव को चुनौती पर एक साथ सुनवाई होगी। याचिकाओं पर जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूरे देश में विरोध हुआ था। इसके बाद सरकार ने कानून को उसी रूप में लाने के लिए एससी-एसटी संशोधन बिल संसद में पेश कर दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था।