न्यायमूर्ति पी.सी. घोष और न्यायमूर्ति अमिताव राय की पीठ ने बिहार सरकार और निचली अदालत को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि राजीव रोशन हत्याकांड के मुकदमे की सुनवाई कानून के प्रावधानों के तहत शीघ्र पूरी हो।
शहाबुद्दीन को दोहरे हत्याकांड में उम्र कैद की सजा मिल चुकी है जबकि पटना उच्च न्यायालय ने इस मामले में उसे जमानत भी दे दी है। शीर्ष अदालत ने शहाबुद्दीन की जमानत रद्द करने के लिए दायर याचिकाओं पर कल सुनवाई पूरी की थी। न्यायालय ने उच्च न्यायालय सहित विभिन्न न्यायिक मंचों पर तमाम मामलों में राजद के इस बाहुबली की जमानत का विरोध करने के प्रति बिहार की नीतीश सरकार के ढुलमुल रवैये की आलोचना की थी।
29 तारीख को शहाबुद्दीन, बिहार सरकार और चंदा बाबू तीनों के वकीलों ने जमानत पर अपना-अपना पक्ष रखा था। वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफाडे शहाबुद्दीन की ओर से पेश हुए और उन्होंने अपने मुवक्किल को जमानत दिए जाने को चुनौती देने वाली अपीलों का विरोध करते हुए कहा था कि सामान्य परिस्थितियों में जीवन और छूट के आधार का हनन नहीं किया जाना चाहिए।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पटना उच्च न्यायालय के समक्ष तथ्य नहीं रखने के लिए बिहार सरकार को कल कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था क्या उसके जमानत पाने तक आप सोए हुए थे। नीतीश कुमार सरकार के वकील से शीर्ष अदालत ने कड़े सवाल किए थे और शहाबुद्दीन के खिलाफ मामले का अनुसरण करने में गंभीर नहीं रहने के लिए उन्हें फटकार लगाई थी। नीतीश सरकार में राजद भी सहयोगी दल है।
चंद्रकेश्वर प्रसाद की तरफ से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी शहाबुद्दीन की जमानत रद्द करने की मांग करते हुए कल कहा था कि उसे जमानत पर रिहा करना न्याय का मजाक है। चंद्रकेश्वर प्रसाद के तीन पुत्रों की दो अलग-अलग घटनाओं में हत्या कर दी गई थी।