देश में मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं के बीच भारत के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने लोगों को सोशल मीडिया पर अत्यधिक भरोसा करने को लेकर आगाह किया है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि समाज में शांति व्यवस्था कायम रहे इसके लिए उनके पास जो टेक्स्ट आते हैं उनकी जांच उन्हें खुद करनी चाहिए।
समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर वायरल टेक्स्ट के कारण मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ी हैं। कई मामलों में यह भीड़तंत्र में बदल जाता है और जीवन की हानि होती है। चीफ जस्टिस ने कहा कि कृपया मुझे गलत न समझे क्योंकि मैंने फैसला लिखा है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली बेंच ने 17 जुलाई को केंद्र से कहा था कि पीट-पीटकर हत्या की घटनाओं से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए संसद नए कानून बनाए। कोई नागरिक कानून को हाथ में नहीं ले सकता और कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्यों का फर्ज है।
बेंच में शामिल जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि राज्य सरकारों की यह जिम्मेदारी है कि समाज में कानून व्यवस्था और कानून का राज कायम करें। बेंच ने कहा कि राज्य इसे अनसुना नहीं कर सकते। भीड़तंत्र की घटनाओं से सख्ती के साथ निपटना होगा। गौरक्षा के नाम पर हो रही भीड़ की हिंसा पर रोक लगाने के संबंध में तुषार गांधी और तहसीन पूनावाल ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर की थी।