वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को 2018 का इकोनॉमिक सर्वे संसद में पेश किया। वित्त मंत्री द्वारा पेश इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2019 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।
सर्वे में कहा गया है कि एक्सपोर्ट सेक्टर से इकोनॉमी को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने सर्वे को लेकर की प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि इकोनॉमी की हालत सुधर रही है।
As India emerges as one of world’s largest economies, it needs to gradually move from being a net consumer of knowledge to becoming a net producer: Chief Economic Adviser Arvind Subramanian, #EconomicSurvey2018 pic.twitter.com/NX6RYtEdzI
— ANI (@ANI) January 29, 2018
देश में जीएसटी और नोटबंदी का असर खत्म हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार की तरफ से भी इसके लिए अहम कदम उठाए जा रहे हैं। अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि निर्यात भी बेहतर स्थिति में आया है। इससे जरिए अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिल रही है।
अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का मतलब है कि जीडीपी पर इसका सीधा असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इससे कमाई का खतरा भी पैदा होगा। पिछले साल के मुकाबले इस साल 15 से 16 प्रतिशत तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। इस स्तर की चुनौती से निपटने की जरूरत है।
This year oil prices went up that affected consumption and govt finances and also held back real economic activity: Chief Economic Adviser Dr Arvind Subramanian pic.twitter.com/Nc71QBdeUa
— ANI (@ANI) January 29, 2018
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि कृषि को सहारा देने, एयर इंडिया का निजीकरण करने और जीएसटी में सुधार करने की जरूरत है और इसे स्थाई रूप देने की जरूरत होनी चाहिए।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि सरकार को टीबीएस एक्शन 4 आर को लेकर सतर्क रहना होगा। उन्होंने आगे कहा कि मैक्रो इकोनॉमिक के दबावों और तेल की बढ़ती कीमतों की चुनौती से निपटना है।