मेरठ के एक अस्पताल में अजीब फरमान जारी किया है जिसके अनुसार अस्पताल नए मुस्लिम मरीजों का इलाज तभी करेगा जब वह कोरोना वायरस का टेस्ट करवाकर आएं और उनकी रिपोर्ट निगेटिव हो।
मेरठ के वैलेंटिस कैंसर हॉस्पीटल ने बाकायदा एक अखबार में विज्ञापन जारी आरोप लगाया है कि तबलीगी जमात के कई सदस्यों ने देश के कई हिस्सों में संक्रमण फैलाया और छिप गए, इस वजह से संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ गई। वैसे भारत इस महामारी का संक्रमण काफी हद तक रोकने में सफल रहा था। अस्पताल का कहना है कि मेडिकल स्टाफ, पुलिस और अन्य लोगों पर हमले किए जाने की अनेक घटनाएं सामने आई हैं। वैलेंटिस में भी कुछ मरीजों ने निर्देश मानने से इन्कार कर दिया और असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया। अस्पताल ने कहा कि उसका यह नियम तब तक लागू रहेगा, जब तक कोरोना वायरस का संक्रमण खत्म नहीं हो जाता है।
गलत निकला अस्पताल का दावा
अस्पताल के रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अमित जैन ने दावा किया मेरठ में दो केसों को छोड़कर बाकी मरीज तबलीगी जमात से जुड़े लोगों के हैं। लेकिन स्वास्थ्य सेवा निदेशालय लखनऊ के अनुसार मेरठ के 70 कोरोना मरीजों में से 46 मरीज जमात से संबंधित हैं। अस्पताल ने इस नियम में कुछ रियायत दी है। अगर कोई मुस्लिम डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, जज, पुलिस कर्मचारी, अध्यापक और घनी आबादी से बाहर रहता है तो उसे कोरोना टेस्ट नहीं कराना होगा।
प्रशासन ने माफी मांगने को कहा
इसके बाद मेरठ के जिला प्रशासन ने अस्पताल से माफी मांगने को कहा है, अन्था उसका लाइसेंस निलंबित कर दिया जाएगा। मेरठ के मुख्य चिकित्साधिकारी राज कुमार ने कहा कि धर्म के आधार पर भेदभाव करके अस्पताल ने नैतिक नियमों का उल्लंघन किया है। हम अस्पताल को नोटिस जारी करेंगे और उसे माफी जारी करनी होगी।