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उत्तराखंड: हरीश रावत बोले- कभी पीड़ा व्यक्त करना भी पार्टी के लिए लाभदायक होता है

उतराखंड में चुनावी गहमागहमी चरम पर है। सियासी पार्टियां अपनी तिकड़म भिड़ाने में लगी हुई हैं तो...
उत्तराखंड: हरीश रावत बोले- कभी पीड़ा व्यक्त करना भी पार्टी के लिए लाभदायक होता है

उतराखंड में चुनावी गहमागहमी चरम पर है। सियासी पार्टियां अपनी तिकड़म भिड़ाने में लगी हुई हैं तो व्यक्तिगत तौर पर नेताओं ने भी गुणा-गणित करना शुरू कर दिया है। दो दिन पहले उत्तराखंड में कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत पार्टी हाईकमान से नाराज थे। लेकिन कल राहुल गांधी के आवास पर हुई बैठक से उनकी नाराजगी दूर हो गयी।

आज मीडिया को दिए अपने वक्तव्य में हरीश रावत कहते हैं, "जैसे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) है, वैसे ही आल इंडिया कांग्रेस कमिटी (एआईसीसी) भी मालिक है। जो पार्टी के प्रभारी हैं, वह कोच हैं लेकिन कप्तान का भी अपना स्थान है। इन तीनों के बीच एक विश्वास और समझ का रिश्ता होना चाहिए। मैंने जो भी कहा वह जीतने के लिए कहा। कभी पीड़ा व्यक्त करना भी पार्टी के लिए लाभदायक होता है।"

परसो रावत कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था, "है न अजीब सी बात, कि चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है और सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है।"

उन्होंने आगे ये भी कहा था कि जिन लोगों ने तैरने का आदेश दिया है, उनके प्रतिनिधि मेरे हाथ-पैर बांध रहे हैं। मुझे लगा था कि अब बहुत हो गया, तुम काफी तैर चुके हो और अब आराम करने का समय आ गया है। असमंजस में हूं, शायद नया साल मुझे राह दिखाए।

हालांकि ये नाराजगी ज्यादा देर तक नहीं चली। कल दिल्ली में हुए मीटिंग के बाद हरीश रावत को पार्टी ने उत्तराखंड में अपना चेहरा घोषित किया। पार्टी से मन-मुताबिक हरी झंडी पाने के बाद कल रावत ने कहा था, "कदम कदम बढ़ाए जा, कांग्रेस की गीत गाए जा। उत्तराखंड में होने वाले चुनाव में पार्टी का चेहरा मैं ही रहूंगा।"

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