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स्वदेशी जागरण मंच की मांग, पीएम मोदी एमएसएमइ की परिभाषा बदलने वाले बिल को पास होने से रोकें

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमइ)...
स्वदेशी जागरण मंच की मांग, पीएम मोदी एमएसएमइ की परिभाषा बदलने वाले बिल को पास होने से रोकें

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमइ) की परिभाषा बदलने के लिए संसद में पेश बिल का विरोध किया है। इन संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि वे इसे संसद में पारित होने से रोकें। नई दिल्ली में ‘एमएसएमइ की परिभाषा बदलने से खतरे’ विषय पर सेमिनार का भी आयोजन किया गया। इसका आयोजन स्वदेशी जागरण मंच और लघु उद्योग भारती ने किया।

इस मौके पर जारी बयान में स्वदेशी जागरण मंच के सह संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा हम प्रधान मंत्री और एमएसएमइ मंत्रालय से आग्रह करते हैं कि छोटे उद्योग, मेक इन इंडिया, उद्यमिता विकास और भारत के काम करने का सपना देखने देखने वाले युवाओं के हित में इस बिल को पारित करने की प्रक्रिया को तुरंत रोक दें। 

महाजन के कहा कि इस बिल के पारित हो जाने से स्वदेशी विनिर्माण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि लघु उद्योगों के टर्न ओवर की नई बिल में जिस तरह से व्याख्या की गई उसके अनुसार मात्र दो फीसदी को ही यह दर्जा मिल सकेगा और 98 फीसदी इससे बाहर हो जाएंगी। बयान में कहा गया है कि लघु उद्योग सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि, रोजगार, निर्यात और विकेंद्रीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन वैश्वीकरण के हमले, खुली व्यापार नीति, बाजार में भरे पड़े चीनी उत्पादों से प्रतिस्पर्धा, कानूनी अड़चनों, इज ऑफ डूइंग बिजनेस का माहौल नहीं होना के कारण इन्हें भारी परेशानी होती है। इसके अलावा मार्केटिंग, वित्त और तकनीक की भी समस्या है। लघु उद्योगों को सरकार से समर्थन, सहयोग और प्रोत्साहन भी मिलता है। इसके लिए सरकार ने इनकी समस्याओं को दूर करने के लिए अलग मंत्रालय का गठन भी किया है। लेकिन नई आर्थिक नीति के युग में राजनीतिक नेतृत्व और नौकरशाहों द्वारा इस तरह की नीतियां बनाई गईं जो लघु उद्योगों के लिए हानिकारक थीं और इनके हितों की जगह बड़े कॉरपोरेट का पक्ष लेतीं थी।

इस बिल को पेश करने का फैसला केंद्रीय कैबिनेट ने सात फरवरी 2018 को लिया।नए बिल से किए जा रहे संशोधन के अनुसार, पांच करोड़ रुपये तक के कारोबार वाले किसी भी व्यवसाय को माइक्रो एंटरप्राइज के रूप में माना जाएगा। एक लघु उद्यम वह होगा जिसका वार्षिक कारोबार पांच करोड़ रुपये से 75 करोड़ रुपये है और 75 करोड़ रुपये से अधिक से लेकर 250 करोड़ रुपये तक वाले कारोबार को मध्यम उद्यम के रूप में समझा जाएगा।

स्वदेशी जागरण मंच के बयान में कहा गया कि अभी माइक्रो इकाइयों के लिए यह सीमा 25 लाख रुपये, लघु उद्यम के लिए यह सीमा पांच करोड़ रुपये और मध्यम उद्यमों के लिए यह सीमा 10 करोड़ रुपये थी। लेकिन अब जो परिभाषा दी जाने वाली है उससे इस श्रेणी के उद्योगों को काफी परेशानी होगी। इन्हें होने वाली परेशानियों की वजह से नए बिल को संसद में पास होने से रोका जाना चाहिए।

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