विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाली मध्य प्रदेश भाजपा की विधायक ऊषा ठाकुर ने मी टू अभियान को लेकर कहा है, ‘मैं महिला सशक्तीकरण के हक में हूं, अगर अपने स्वार्थ के लिए नैतिक मूल्यों से समझौता कर कामयाबी मिलती है तो उसका कोई मतलब नहीं है। इतने साल बाद आरोप लगाने की सत्यता क्या है।‘
ऊषा ठाकुर ने कहा कि महिलाएं तरक्की के लिए निजी स्वार्थ के लिए नैतिक मूल्यों से समझौता करती हैं, इसलिए ऐसी परेशानियों में फंसती हैं। एमजे अकबर के इस्तीफे देना या नहीं, इस पर उन्होंने कहा कि इस समस्या का हल इस्तीफा नहीं है बल्कि समाज में गिरते नौतिक मूल्यों को बचाने का प्रयास होना चाहिए।
पहले भी दिए हैं विवादित बयान
ये कोई पहली बार नहीं जब ऊषा ठाकुर ने इस तरह का विवादित बयान दिया है। इससे पहले भी ऊषा ठाकुर ने नवरात्रि के दौरान गरबा इवेंट में मुस्लिम लड़कों की एंट्री बैन किए जाने के फैसले को सपोर्ट देकर विवाद खड़ा कर दिया था। ऊषा ठाकुर का कहना था कि मुस्लिम युवा हिंदु लड़कियों को अपने जाल में फंसाकर उनको धर्म परिवर्तिन करवा देते हैं। करीब तीन साल पहले उन्होंने एक बयान में कहा था कि अगर मुस्लिमों के लिए कुर्बानी का त्योहार इतना ही जरूरी है तो उन्हें बकरे की जगह अपने बेटों को कुर्बान करना चाहिए।
उठने लगे हैं सवाल
मी टू अभियान का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। हॉलीवुड से होते हुए बॉलीवुड में भी मुहिम की तरह फैलने के बाद इसकी जद में नेता और पत्रकार भी आ गए हैं। अब इस अभियान के विरोध में लोगों ने सवाल खड़ा करना शुरू कर दिया है।