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‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन में बोले पीएम मोदी, ‘‘दुनिया संकट की स्थिति में है’’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संघर्ष, युद्ध, आतंकवाद और उससे खड़ी होने वाली विभिन्न वैश्विक चुनौतियों...
‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन में बोले पीएम मोदी, ‘‘दुनिया संकट की स्थिति में है’’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संघर्ष, युद्ध, आतंकवाद और उससे खड़ी होने वाली विभिन्न वैश्विक चुनौतियों का जिक्र करते हुए गुरुवार को कहा कि दुनिया संकट की स्थिति में है और यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि अस्थिरता की यह स्थिति कब तक रहेगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन को ऑनलाइन संबोधित करते हुए खाद्य, ईंधन और उर्वरकों की बढ़ती कीमतों, कोविड-19 वैश्विक महामारी के आर्थिक प्रभावों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न प्राकृतिक आपदाओं पर भी चिंता व्यक्त की।

उन्होंने सम्मेलन की शुरुआत करते हुए विभिन्न विकासशील देशों के कई नेताओं की उपस्थिति में कहा, ‘‘ यह स्पष्ट है कि दुनिया संकट में है।’’ उन्होंने कहा कि यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि ‘‘अस्थिरता की स्थिति’’ कब तक रहेगी। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा (ग्लोबल साउथ) भविष्य सबसे अधिक दांव पर लगा है। अधिकतर वैश्विक चुनौतियों के लिए ‘ग्लोबल साउथ’ जिम्मेदार नहीं है, लेकिन इसका सबसे अधिक प्रभाव हम पर ही पड़ता है।’’

पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने हमेशा उसके विकास संबंधी अनुभव को ‘‘ ‘ग्लोबल साउथ’ के अपने भाइयों’’ के साथ साझा किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत इस वर्ष जी20 की अध्यक्षता कर रहा है और स्वाभाविक है कि हमारा उद्देश्य ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज बुलंद करना होगा।

भारत 12-13 जनवरी को दो दिवसीय ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, जो यूक्रेन संघर्ष के कारण उत्पन्न खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा सहित विभिन्न वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर विकासशील देशों को अपनी चिंताएं साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। ‘ग्लोबल साउथ’ व्यापक रूप से एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के देशों को कहा जाता है।

इसका विषय, ‘मानव केंद्रित विश्व के लिए विकासशील देशों की आवाज’ है। मंत्री-स्तरीय समापन सत्र का विषय ‘यूनिटी ऑफ वॉइस-यूनिटी ऑफ पर्पज़’ होगा। शिखर सम्मेलन में दस सत्रों का आयोजन होगा, जिनमें से चार सत्र बृहस्पतिवार को, जबकि छह सत्र शुक्रवार को होंगे। प्रत्येक सत्र में 10 से 20 देशों के नेताओं और मंत्रियों के शामिल होने की उम्मीद है।

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