दिल्ली में पिछले एक महीने से भी अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे पहलवानों के धरने को समाप्त कराने के एक दिन बाद दिल्ली पुलिस द्वारा कहा गया कि उन्हें (पहलवानों को) जंतर-मंतर के अलावा शहर में उपयुक्त स्थान पर प्रदर्शन करने की अनुमति दी जाएगी।
रविवार को नए संसद भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन करने की मंशा से आगे बढ़ रहे पहलवानों को पुलिस का सामना करना पड़ा। दिल्ली पुलिस ने कहा, "रविवार को विरोध प्रदर्शन करने वालों ने हमारे अनुरोध के बाद भी नियमों को तोड़ा। इसीलिए, फिलहाल चल रहे धरने को समाप्त किया गया है।
पुलिस उपायुक्त, दिल्ली सुमन नलवा ने बताया कि पिछले 38 दिनों से जंतर मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों को दिल्ली पुलिस ने हरसंभव सुविधा उपलब्ध कराई है। हमने उन्हें पानी दिया, जनरेटर भी उपलब्ध कराया। लेकिन उन्होंने कल हमारे कहने के बाद भी नियमों को तोड़ दिया।" उन्होंने कहा, "23 मई को कैंडल मार्च से पहले भी पुलिस ने पहलवानों से नियम नहीं तोड़ने का आग्रह किया था। तब पुलिस ने मार्च को शांतिपूर्ण तरह से संपन्न कराया।"
सुमन नलवा ने कहा, "28 मई यानी रविवार को नियम कानून के लिहाज से पुलिस के लिए बड़ा दिन था। हमारी संसद का उद्घाटन होना था। ऐसे में कोई भी एजेंसी इस तरह के विरोध की इजाजत नहीं देती है। पुलिस के बार बार मना करने पर भी पहलवानों ने कुछ भी सुनने से इंकार कर दिया। जिसका नतीजा यह हुआ कि उन्हें हिरासत में लिया गया।"
"यदि पहलवान धरने के लिए भविष्य में पुनः आवेदन करते हैं तो उन्हें जंतर मंतर के बजाय किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर धरने की अनुमति दी जाएगी।" बता दें कि नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर दिल्ली पुलिस ने तब विनेश फोगट, साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया सहित अन्य पहलवानों को हिरासत में लिया जब वे विरोध के लिए संसद की तरफ मार्च कर रहे थे। बाद में इनके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की गई।
इसके ठीक बाद दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर पर उस जगह को साफ करा दिया जहां, पहलवान महीने भर से अधिक समय से धरना दे रहे थे। दिल्ली पुलिस ने कहा कि उन्हें वहां वापस जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पुलिस ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में 700 लोगों को हिरासत में लिया गया है। जंतर मंतर पर तीन पहलवानों सहित 109 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया। महिला बंदियों को बाद में रिहा कर दिया गया।
इस मामले पर आगे बात करते हुए दिल्ली पुलिस की तरफ से सुमन नलवा ने कहा कि रविवार की घटना के बाद यह निर्णय लेना पड़ा है। उन्होंने कहा, "पहलवानों के पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए जंतर मंतर पट धरने की अनुमति नहीं दी जा सकती। उनके अनुरोध पर हम अन्य किसी स्थान पर धरने की अनुमति दे सकते हैं।" गौरतलब है कि पहलवान 23 अप्रैल से भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह को यौन शौषण के आरोपों में गिरफ्तार करने की मांग लेकर धरने पर बैठे थे।