केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने बुधवार को स्पष्ट किया कि केंद्र ने नई दिल्ली के बक्करवाला में रोहिंग्या अवैध प्रवासियों को ईडब्ल्यूएस फ्लैट उपलब्ध कराने के लिए कोई निर्देश नहीं दिया है।
मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा, ''रोहिंग्या अवैध प्रवासियों को लेकर मीडिया रिपोर्टों के संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि गृह मंत्रालय (एमएचए) ने नई दिल्ली के बक्करवाला में रोहिंग्या को ईडब्ल्यूएस फ्लैट प्रदान करने के लिए कोई निर्देश नहीं दिया है.''
मंत्रालय ने यह भी कहा कि अवैध विदेशियों को कानून के अनुसार उनके निर्वासन तक डिटेंशन सेंटर में रखा जाएगा। इसने कहा कि दिल्ली सरकार ने वर्तमान स्थान को एक निरोध केंद्र के रूप में घोषित नहीं किया है, यह कहते हुए कि उसे तुरंत ऐसा करने का निर्देश दिया गया है।बयान में कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने रोहिंग्याओं को एक नए स्थान पर स्थानांतरित करने का प्रस्ताव रखा था."
ट्वीट्स की एक श्रृंखला में, एमएचए ने कहा, "एमएचए ने जीएनसीटीडी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि रोहिंग्या अवैध विदेशी वर्तमान स्थान पर बने रहेंगे क्योंकि एमएचए पहले ही विदेश मंत्रालय के माध्यम से संबंधित देश के साथ उनके निर्वासन का मामला उठा चुका है।"
गौरतलब है कि केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी ने कहा था कि भारत की रिफ्यूजी पॉलिसी के खिलाफ झूठी अफवाह फैलाने वाले सफल नहीं होंगे। भारत संयुक्त राष्ट्र के रिफ्यूजी कन्वेंशन 1951 को मानता है और रंग, धर्म और जाति के बिना जिसे भी जरूरत है उसे शरण देता है।
इससे पहले, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेता आलोक कुमार ने दावा किया था कि रोहिंग्याओं के लिए प्रस्तावित फ्लैटों के विपरीत, दिल्ली के कई इलाकों में रहने वाले हिंदुओं की स्थिति 'खराब' है। वीएचपी इसकी विरोध भी कर रही थी।