किसान आंदोलन को देशव्यापी रूप देने और अन्य संगठनों को भी सरकार के खिलाफ एक मंच पर लाने की में जुगत अब किसान दिल्ली से मुम्बई पहुंच गए हैं। आज मुंबई के आजाद मैदान में किसान-मजदूर महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। इस महापंचायत में संयुक्त शेतकरी कामगार मोर्चा (एसएसकेएम) के बैनर तले 100 से अधिक किसान संगठन शामिल होंगे। इस रैली को संयुक्त किसान मोर्चा के नेता संबोधित करेंगे, जिसके लिए भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत मुंबई पहुंच गए है।
मीडिया को दिए अपने वक्तव्य में राकेश टिकैत ने कहा, "किसानों और मज़दूरों के विषयों पर इस बैठक में चर्चा होगी। दिल्ली में आंदोलन में यहां से कैसे मदद की जाएगी, ये सब विषय रहेंगे। ये बैठकें हमें पूरे देश में करनी पड़ेंगी।' महापंचायत में किसान कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे। टिकैत के अनुसार, "किसान मजदूर महापंचायत में फसल संबंधित सभी मुद्दे, एमएसपी की मांग, स्वामीनाथन रिपोर्ट के कार्यान्वयन, बेरोजगारी और कई अन्य मुद्दों पर भी बात होगी।"
बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा की मांगों में फसल वापसी, एमएसपी को गारंटीकृत करने के अलावा, बिजली संशोधन बिल को वापस लेना, एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट एक्ट से आपराधिक प्रावधानों को हटाना, डीजल-पेट्रो और कुकिंग गैस की कीमत आधी करना और राष्ट्रीय संसाधनों के निजीकरण पर रोक लगाना भी शामिल है।
गौरतलब है कि कल कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से अनुरोध किया था कि वो प्रदर्शन खत्म करें और अपने-अपने घर चले जाएं। उन्होंने कहा था, "तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के एलान के बाद मुझे लगता है कि अब आंदोलन का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए मैं किसानों और किसान संगठनों से निवेदन करता हूं कि वो आंदोलन खत्म करें। बड़े मन का परिचय दें और पीएम मोदी की जो घोषणा है उसका आदर करते हुए अपने-अपने घर लौटें"
कृषि मंत्री के बयान पर पलटवार करते हुए राकेश टिकैत ने कहा था कि सरकार द्वारा एमएसपी पर कानून की हमारी मांग को स्वीकार करने के बाद ही हम घर जाएंगे और विरोध वापस ले लेंगे। हमारा जनवरी तक दिल्ली बोर्डर में रहने का कोई इरादा नहीं है। यदि सरकार एमएसपी और धरना के दौरान मारे गए 750 किसानों के लिए मुआवजे की हमारी मांग को स्वीकार करेगी तो हम तुरंत घर चले जाएंगे।
हालांकि, तमाम खबरों के बीच सरकार के लिए एक अच्छी खबर भी आ रही है। सिंघु और टिकरी बॉर्डर के किसान नेताओं ने संयुक्त बैठक कर 29 नवंबर को शीतकालीन सत्र के पहले दिन संसद तक ट्रैक्टर मार्च निकालने की योजना को स्थगित कर दिया है।