कोराना महामारी की दूसरी लहर के दौरान देश भर में वैक्सीनेशन की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन, कई राज्यों में अब वैक्सीन की किल्लत हो गई है। डोज उपलब्ध ना होने की वजह से सेंटर्स पर ताले लटकने लगे हैं। लोगों को दस-दस दिनों से अधिक समय का इंतजार करना पड़ रहा है। बढ़ते संक्रमण और तीसरी लहर की आशंका के बीच विशेषज्ञों का कहना है कि इससे बचने का एक मात्र विकल्प वैक्सीन है।
देश में दो कंपनी- सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक वैक्सीन का निर्माण कर रही है। भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के सहयोग से वैक्सीन की खोज कर पाई है। आईसीएमआर एक सरकारी संस्थान है। वैक्सीन बनाने का लाइसेंस सिर्फ इन्हीं कंपनियों को मिलने की वजह से अब एआईएमआईएम अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कई सवाल केंद्र की मंशा पर उठाए हैं। मोदी सरकार पर सवाल करते हुए ओवैसी ने पूछा है कि जब आईसीएमआर एक सरकारी संस्थान है तो फिर सिर्फ भारत बायोटेक को इसे बनाने का लाइसेंस क्यों।
इससे पहले भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित कई विपक्षी नेताओं ने केंद्र से कोरोना वैक्सीन के लाइसेंस को लेकर सवाल उठाए चुके हैं। दलों की मांग है कि और कंपनियों का इसका अधिकार मिलना चाहिए ताकि वैक्सीन की किल्लत को दूर किया जा सके और वैक्सीनेशन प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरा हो। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी मोदी सरकार को पत्र लिखते हुए कहा था कि केंद्र कुल आबादी को देखें।
एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने ट्वीटर पर एक वीडियो जारी कर कोरोना वैक्सीन के लिए सिर्फ दो कंपनियों को लाइसेंस देने को लेकर का कि पीएम मोदी का इन कंपनियों से क्या कनेक्शन हैं?
ओवैसी ने वीडियो में आगे कहा कि आईसीएमआर गवर्नमेंट ऑफ इंडिया का है। आईसीएमआर ने कोवैक्सीन को बनाया है और इसका लाइसेंस भारत बॉयोटेक को दिया है। जब गवर्नमेंट लाइसेंस प्राइवेट कंपनी को दे रही है तो वो किसी और कंपनी को क्यों नहीं देती। ओवैसी ने लाइसेंस को लेकर कहा कि यदि सरकार देश में दूसरी कंपनियों को लाइसेंस देती है तो जितने सरकार के फार्मेसी के पब्लिक सेक्टर के अंडर टेकिंग जो खाली पड़े हुए हैं वो तुरंत इस वैक्सीन को बनाना शुरू कर देंगे।