एक तरफ दिल्ली विधानसभा के चुनाव परिणाम शाह के लिए दुखद रहा तो दूसरी ओर बेटे की शादी की खुशी थी। लेकिन इन दोनों के बीच सामंजस्य बिठाना था।
भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार शाह को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। चुनाव प्रबंधन में माहिर माने जाने वाले शाह बुरी तरह से परास्त हुए और आम आदमी पार्टी ने बड़ी जीत हासिल की। लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद भाजपा ने सर्वसम्मति से शाह को अध्यक्ष बनाया।
चुनाव के समय शाह उत्तर प्रदेश के प्रभारी थे और भाजपा और अपना दल ने 80 में से 73 सीटें जीती थी। कुशल चुनाव प्रबंधन के माहिर माने जाने वाले शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी विश्वस्त माने जाते हैं। कहा जाता है कि गुजरात में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भले ही चुनाव लड़ा जाता रहा हो लेकिन परदे के पीछे शाह ही सारा काम करते थे।
इसी कुशलता को देखते हुए मोदी जब प्रधानमंत्री बने तो कई वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर शाह को अध्यक्ष बना दिया गया। शाह के नेतृत्व में पार्टी ने महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में बड़ी सफलता हासिल की। पहली बार जम्मू-कश्मीर से भाजपा कोटे से राज्यसभा की एक सीट पर जीत मिली है। इसका श्रेय शाह को ही जाता रहा है। लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव ने शाह की सारी रणनीति पर पानी फेर दिया।