उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र से एक सप्ताह के भीतर आदेश लागू कराने और सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों को इस बारे में जानकारी देने को कहा है। कोर्ट ने साफ निर्देश दिया कि राष्ट्रगान बजाये जाने को लेकर किसी व्यक्ति को कोई व्यवसायिक लाभ नहीं दिया जाए। अदालत ने कहा है कि राष्ट्रगान का किसी भी तरह का नाट्य रूपांतरण नहीं किया जाए। इसके अलावा किसी अवांछनीय वस्तु पर राष्ट्रगान को छापा या दर्शाया नहीं जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय गान, यानी 'जन गण मन' से जुड़े एक अहम आदेश में बुधवार को कहा कि देशभर के सभी सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रीय गान ज़रूर बजेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय गान राष्ट्रीय पहचान, राष्ट्रीय एकता और संवैधानिक देशभक्ति से जुड़ा है। कोर्ट के आदेश के मुताबिक, ध्यान रखा जाए कि किसी भी व्यावसायिक हित में राष्ट्रीय गान का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इसके अलावा किसी भी तरह की गतिविधि में ड्रामा क्रिएट करने के लिए भी राष्ट्रीय गान का इस्तेमाल नहीं होगा, तथा राष्ट्रीय गान को वैरायटी सॉन्ग के तौर पर भी नहीं गाया जाएगा।
श्याम नारायण चौकसे की याचिका में कहा गया था कि किसी भी व्यावसायिक गतिविधि के लिए राष्ट्रीय गान के चलन पर रोक लगाई जानी चाहिए, और एंटरटेनमेंट शो में ड्रामा क्रिएट करने के लिए राष्ट्रीय गान को इस्तेमाल न किया जाए। याचिका में यह भी कहा गया था कि एक बार शुरू होने पर राष्ट्रीय गान को अंत तक गाया जाना चाहिए, और बीच में बंद नहीं किया जाना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि इस तरह के मामलों में राष्ट्रीय गान नियमों का उल्लंघन है और यह वर्ष 1971 के कानून के खिलाफ है। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अक्टूबर में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।