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बाइक बोट केस: आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, कुल 119 एफआईआर का एक में विलय

उत्तर प्रदेश में हुए 42,000 करोड़ रुपये के बाइक बोट घोटाले के दो आरोपियो सत्येंद्र सिंह भसीन उर्फ मोंटू...
बाइक बोट केस: आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, कुल 119 एफआईआर का एक में विलय

उत्तर प्रदेश में हुए 42,000 करोड़ रुपये के बाइक बोट घोटाले के दो आरोपियो सत्येंद्र सिंह भसीन उर्फ मोंटू भसीन और दिनेश पांडे को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है।

न्यायालय ने मुकदमे की कार्यवाही कई अदालतों में चलने को ‘‘व्यापक जनहित के विरुद्ध’’ बताते हुए करोड़ों रुपये के कथित 'बाइक बोट' घोटाले के संबंध में कई प्राथमिकियों को एकसाथ करने के साथ ही इसके परिणामस्वरूप होने वाली सुनवाई को ग्रेटर नोएडा की एक अदालत में किये जाने की अनुमति दी। शीर्ष अदालत ने इसके लिए अपने विशेष शक्ति का उपयोग किया।

बाइक बोट योजना घोटाले के संबंध में उत्तर प्रदेश में कई लोगों के खिलाफ 100 से ज्यादा और दिल्ली में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

जांच एजेंसी के अनुसार, बाइक टैक्सी सेवा योजना में निवेश पर आकर्षक रिटर्न के झूठे वादे पर दो लाख से ज्यादा लोगों से कथित तौर पर करोड़ों रुपये की ठगी की गई।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला की पीठ उन याचिकाओं पर विचार कर रही थी, जिसमें आरोपियों ने जमानत दिये जाने, दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण, प्राथमिकी को एकसाथ करने और सुनवाई एकजगह पर उस स्थान पर करने का अनुरोध किया जहां कथित अपराध किया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, इन रिट याचिकाओं में विविध राहत का अनुरोध किया गया है, पक्षों के लिए पेश वकील मोटे तौर पर इससे सहमत हुए हैं कि वे बाइक बोट योजना के संबंध में दर्ज विभिन्न प्राथमिकियों को पुलिस थाना दादरी, जिला गौतमबुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश में दर्ज मुख्य प्राथमिकी के साथ एक जगह करने की राहत तक सीमित रखेंगे।’’

पीठ ने प्राथमिकियों को एक जगह करने का आदेश देते हुए कहा, ‘‘हमारा यह भी मानना है कि कई जगह मुकदमे की कार्यवाही जनहित में भी नहीं होगी।’’

कोर्ट ने टेलीविजन पत्रकार अमीश देवगन के मामले में पारित सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी उल्लेख किया और संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी व्यापक शक्ति का इस्तेमाल करते हुए घोटाले के दोनों मामलों में प्राथमिकियों को एक जगह करने का आदेश दिया।

याचिकाकर्ताओं में से एक सतिंदर सिंह भसीन की ओर से पेश हुए वकील विशाल गोसाईं ने दलील दी कि कई जगह मुकदमे की कार्यवाही से बचने के लिए समान आरोपों से संबंधित प्राथमिकी को एकसाथ किया जाना चाहिए।

वहीं एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट से पहले सत्येंद्र सिंह भसीन उर्फ मोंटू भसीन और दिनेश पांडे को 2020-21 में बाइक बोट मामले में संबंधित दर्ज सभी एफआईआर में नियमित जमानत दे दी थी। ये जमानत इस अधार पर दी गई थी कि दोनों का नाम न तो एफआईआर में था और न ही मेसर्स गारविट इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के निदेशक, पदाधिकारी या प्रबंधक की लिस्ट- जिनके द्वारा बाइक-बॉट योजना शुरू की गई थी।

रिपोर्ट के अनुसार, संजय भाटी ने गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के नाम से 2010 में कंपनी बनाई थी। इसके बाद 2018 में बाइक बोट स्कीम लॉन्च की गई थी। इसके तहत बाइक टैक्सी शुरू की गई। इसमें एक व्यक्ति से एक मुश्त 62200 रुपये का निवेश कराया गया। उसके बदले 1 साल तक 9765 रुपये देने का वादा किया गया। इन लोगों पर आरोप है कि इन्होंने देशभर में स्कीम में निवेश के जरिए मोटा लाभ देने का लालच देकर लाखों लोगों से ठगी की। खबरों के मुताबिक, इस कंपनी के नाम पर लोगों को बाइक टैक्सी में निवेश का ऑफर दिया गया था। इसमें 42,000 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की गई और फिर सभी आरोपी फरार हो गए। निवेश करने वालों का कहना है कि उन्हें पैसे नहीं दिए गए, बाद में संचालक फरार हुआ तो लोगों ने मुकदमे दर्ज कराने शुरू किए थे। फिलहाल मुख्य आरोपी संजय भाटी समेत 24 आरोपी जेल में है। जबकि दो आरोपी मोंटी भसीन और दिनेश पांडेय को जमानत मिल चुकी है।

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