भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने सोमवार को को दोपहर 1.15 बजे के बीच चंद्रयान-2 यान के ऑर्बिटर से विक्रम लैंडर को अलग कर दिया है। अब अगले 20 घंटे तक विक्रम लैंडर अपने ऑर्बिटर के पीछे-पीछे 2 किमी प्रति सेकंड की गति से चांद का चक्कर लगाता रहेगा। ‘विक्रम’ लैंडर सात सितंबर को तड़के डेढ़ बजे से ढाई बजे के बीच चंद्रमा की सतह पर पहुंचेगा।
बता दें कि भारत का महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान-2 मंजिल के और पास पहुंच चुका है। तीन सितंबर को सुबह 8.45 से 9.45 बजे के बीच विक्रम लैंडर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का पीछा छोड़ नई कक्षा में जाएगा। तब यह 109 किमी की एपोजी और 120 किमी की पेरीजी में चांद का चक्कर लगाएगा।
इससे पहले रविवार को शाम 06 बजकर 21 मिनट पर चंद्रयान-2 चंद्रमा की पांचवी कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया। कक्षा बदलने में इसे 52 सेकंड का समय लगा। इस कक्षा की चांद से न्यूनतम दूरी सिर्फ 109 किलोमीटर है। इसरो ने जानकारी दी है कि सफलतापर्वक सामान्य परिस्थितियों में यह महत्वपूर्ण पड़ाव पार कर लिया गया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इस प्रक्रिया (मैनुवर) के पूरा होने के बाद कहा कि अंतरिक्ष यान की सभी गतिविधियां सामान्य हैं।
इसरो ने एक अपडेट में कहा, “प्रणोदन प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए चंद्रयान-2 अंतरिक्षयान को चंद्रमा की अंतिम एवं पांचवीं कक्षा में आज (एक सितंबर, 2019) सफलतापूर्वक प्रवेश कराने का कार्य योजना के मुताबिक छह बजकर 21 मिनट पर शुरू किया गया। चंद्रमा की पांचवीं कक्षा में प्रवेश कराने की इस पूरी प्रक्रिया में 52 सेकेंड का समय लगा।”
लैंडर इस तरह हुआ अलग?
इसरो के एक वैज्ञानिकों के मुताबिक ऑसबिटर के ऊपर लगे फ्यूल के एक्सटेंशन में लैंडर और रोवर रखे गए थे जो कि क्लैंप और बोल्ट से जुड़े थे। एक स्प्रिंग के दो ओर लैंडर और रोवर जुड़े हुए थे। जिस बोल्ट से स्प्रिंग लगा हुआ है उसे कमांड के माध्यम से काट दिया गया और लैंडर अलग हो गया।