जामा मस्जिद के शाही इमाम, सैयद अहमद बुखारी ने बुधवार को देश के लोगों से संयम बरतने और विरोध प्रदर्शन के बीच अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखने का आह्वान किया। प्रदर्शनकारियों को शांत करने के प्रयास में, बुखारी ने कहा कि संशोधित नागरिकता अधिनियम भारतीय मुसलमानों को प्रभावित नहीं करता है।
उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) के बीच अंतर बताते हुए कहा कि दोनों दो अलग-अलग चीजें हैं। बुखारी ने कहा, “सीएए उन लोगों के लिए है जो 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए थे। उन्हें नागरिकता दी जाएगी और इससे भारत में रहने वाले मुसलमानों पर कोई असर नहीं होगा। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता नहीं मिलेगी। इसका भारत में रहने वाले मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है।” उन्होंने आगे कहा, “जहां, सीएए कानून बन गया है, वहीं एनआरसी के लिए केवल इसकी घोषणा की गई है। यह अभी कानून नहीं बना है।
विरोध लोकतांत्रिक अधिकार पर उकसावे में न आएं
बुखारी ने जनता से खास कर युवाओं से अपील की कि वे, ‘किसी भी असामाजिक तत्व के उकसावे में न आएं।’ उन्होंने कहा, “विरोध करना भारत के लोगों का लोकतांत्रिक अधिकार है। हमें ऐसा करने से कोई नहीं रोक सकता। लेकिन भावनाओं को नियंत्रण में रखना सबसे महत्वपूर्ण है।”
जामिया के बाद भड़की हिंसा
उनकी टिप्पणी उत्तर-पूर्व दिल्ली के सीलमपुर इलाके में हिंसक हो चुके विरोध प्रदर्शन पर आई। यहां प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल करना पड़ा। हिंसक प्रदर्शन में दो बसों को आग लगा दी गई थी। झड़प के बाद पुलिस ने सीलमपुर को जाफराबाद से जोड़ने वाली सड़क को भी बंद कर दिया था। नागरिकता कानून को लेकर जामिया मिलिया इस्लामिया में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद विरोध सीलमपुर मेंप्रदर्शन शुरू हुआ था।