कांग्रेस के 14 विद्रोही विधायकों और भाजपा विधायकों द्वारा विधानसभा अध्यक्ष के पद से हटाए गए नबम रेबिया, उपाध्यक्ष और राज्यपाल के वकील शीर्ष अदालत की पीठ के इस सुझाव से सहमत थे कि मामले को पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दिया जाए। पीठ ने जैसे ही कहा कि वह इस प्रकरण को वृहद पीठ को सौंप रहे हैं, विभिन्न पक्षों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता फली नरीमन, कपिल सिब्बल और हरीश साल्वे सहित अनेक वरिष्ठ अधिवक्ता तुरंत ही प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर के न्यायालय पहुंचे और उनसे इस मामले पर विचार के लिए तत्काल संविधान पीठ गठित करने का अनुरोध किया। इन सभी का कहना था कि यह मामला बहुत संवेदनशील है और इस पर यथाशीघ्र निर्णय की आवश्यकता है।
प्रधान न्यायाधीश ने उन्हें इस मामले में शीघ्र निर्णय करने का आश्वासन दिया। शीर्ष अदालत ने कल ही अपने आदेश में कहा था कि राज्य विधानसभा की कार्यवाही शुक्रवार तक नहीं होगी। पीठ ने रेबिया को उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश के प्रशासनिक आदेश के खिलाफ दायर याचिका वापस लेने की भी अनुमति दे दी थी। रेबिया ने राज्यपाल और उपाध्यक्ष के विभिन्न आदेशों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उनका आरोप था कि उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश ने न्यायिक पक्ष की ओर दायर उनकी अर्जी को त्रुटिपूर्ण तरीके से प्रशासनिक क्षमता से अस्वीकार कर दिया था। उन्होंने न्यायमूर्ति बी.के. शर्मा को भी इस मामले की सुनवाई से अलग रखने का अनुरोध किया था।