फिल्म भारत में प्रतिबंधित है लेकिन बीबीसी ब्रिटेन में उसका प्रसारण कर चुकी है। उसके बाद फिल्म इंटरनेट के माध्यम से भारत समेत पूरी दुनिया में पहुंच चुकी है। फिल्म में महिला विरोधी टिप्पणी करने वाले वकीलों, एमएल शर्मा और एपी सिंह को बीसीआइ ने नोटिस दिया है।
शर्मा का कहना है कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला है। उन्होंने उल्टा बीसीआइ को ही कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की है। शर्मा का कहना है कि हमारा पेशेवर आचरण हमारे मुवक्किल और हमारे कानून से संबंधित है। उन्होंने (जिन्होंने वकीलों का विरोध किया है) डाक्यूमेंट्री डाउनलोड की है, उसे स्वयं देखा है और लोगों को इस बारे में बताया है। अदालत के आदेश के बाद ये सभी काम अदालत की अवमानना के तहत आते हैं। शर्मा ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने किसी से कुछ भी गलत नहीं कहा है।
बीबीसी की सामूहिक बलात्कार संबंधी डाक्यूमेंट्री में शर्मा ने कहा था कि यदि लड़कियां पुरुषों की सुरक्षा के बिना बाहर निकलती हैं तो उनके साथ ऐसी घटनाएं होंगी ही।
दूसरे वकील एपी सिंह ने समझौतावादी रुख अख्तियार करते हुए कहा कि वह बीसीआइ के फैसले का पालन करेंगे, जबकि एमएल शर्मा ने अपना रुख बरकरार रखते हुए कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं कहा है।
शर्मा ने कहा कि वह उन्हें नोटिस भेजे जाने के बीसीआइ के स्वनिर्णय पर स्तब्ध हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि उनका लाइसेंस भी रद्द कर दिया जाता है तो भी उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। वह आरोपी की मदद करना जारी रखेंगे।
शर्मा ने कहा कि यह डॉक्यूमेंटी भारत में प्रतिबंधित है और लोगों द्वारा उसे डाउनलोड किया जाना अवमानना के तहत आता है। सिंह ने कहा कि मेरी लड़ाई सिर्फ पश्चिमी संस्कृति के खिलाफ है।