राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) कोरोना महामारी की वजह से अनाथ हुए बच्चों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया है। मंगलवार को दाखिल किए हलफनामे में आयोग ने कहा है कि उसने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को सूचित किया है कि देखभाल और सुरक्षा की जरूरत वाले बच्चों को ट्रैक करने के लिए छह चरणों वाली योजना तैयार की गई है। इसका उद्देश्य कोविड -19 के कारण अनाथ बच्चों या जिन्होंने अपने माता-पिता में से किसी एक को खोया है, उनकी सहायता के लिए निगरानी करना है।
सुप्रीम कोर्ट में आयोग की तरफ से दाखिल हलफनामे के मुताबिक नए बनाए गए बाल स्वराज पोर्टल पर 9,346 प्रभावित बच्चों की जानकारी अपलोड की गई है। इसमें से 1,742 बच्चे शामिल हैं, जिन्होंने माता-पिता दोनों को खो दिया है। जबकि, 7,464 ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने माता-पिता में से किसी एक को खोया है। वहीं, मार्च 2020 से 29 मई 2021 तक 140 बच्चों को छोड़ दिया गया है।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुल में से 1,224 बच्चे अभिभावक के साथ रह रहे हैं। 985 बच्चे परिवार के सदस्य के साथ रहे हैं, जो कानूनी अभिभावक के रूप में नहीं हैं। जबकि, 6612 बच्चे माता-पिता में से किसी एक के साथ रह रहे हैं। इसके अलावा 31 बच्चों को विशेष गोद ग्रहण करने वाली संस्थानों में भेजा गया है।
उपलब्ध आंकडों के मुताबिक मध्य प्रदेश में सबसे अधिक 318 बच्चे अनाथ हो गए हैं जबकि 104 बच्चों को छोड़ दिया गया है। ये डेटा कोर्ट के सामने आयोग ने रखा है। वहीं, माता-पिता में से किसी एक को कोरोना की वजह से खोने वालों की सबसे अधिक संख्या उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई है। कोविड -19 के कारण माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु के बाद अब 1,830 बच्चे एकल-माता-पिता के साथ रह रहे हैं। इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश में पीड़ित बच्चों की सूची में सबसे ऊपर है। कुल 2,110 बच्चे अनाथ हो गए हैं। सैंकड़ों बच्चों को छोड़ दिया गया हैं या कई बच्चों ने अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है। वहीं, बिहार दूसरे नंबर पर है। कुल 1,327 बच्चे पीड़ित हुए हैं। 292 अनाथ हो गए हैं जबकि 1,035बच्चों ने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है।