दिल्ली की अदालत ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की न्यायिक हिरासत 17 अक्टूबर तक बढ़ा दी है। उनकी न्यायिक हिरासत की समाप्ति के बाद गुरुवार को दिल्ली की अदालत के समक्ष पेश किया गया था।
तिहाड़ जेल में बंद चिदंबरम को विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहर के समक्ष पेश किया गया था। इस दौरान सीबीआई ने कहा कि वह आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में चिदंबरम की न्यायिक हिरासत का विस्तार चाहती है। जिस पर कोर्ट ने उनकी हिरासत अवधि 17 अक्टूबर तक बढ़ा दी।
वहीं चिदंबरम ने बीमारियों का हवाला देते हुए तिहाड़ जेल के अंदर घर का बना खाना मंगाने की इजाजत की मांग की है।
2004 से 2014 तक यूपीए शासन के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री रहे चिदंबरम को सीबीआई ने 21 अगस्त को उनके जोर बाग स्थित आवास से गिरफ्तार किया था।
जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रूख
वहीं इससे पहले आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को जमानत मांगने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। चिदंबरम की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति एन वी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले की तत्काल लिस्टिंग करने की मांग की। सिब्बल ने कहा कि आने वाले एक हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में दुर्गा पूजा की छुट्टियां रहेंगी, इसलिए मामले की तत्काल सुनवाई जरूरी है। उन्होंने कोर्ट से जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने की अपील की।
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और कृष्ण मुरारी ने कहा कि चिदंबरम की याचिका को सीजेआई रंजन गोगोई के पास भेजा जाएगा जो इसकी उपयुक्त बेंच में सुनवाई के लिए लिस्टिंग तय करेंगे। वर्तमान में न्यायिक हिरासत में जेल में बंद कांग्रेस नेता ने मामले में अपनी जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के 30 सितंबर के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है।
21 अगस्त को गिरफ्तार हुए थे चिदंबरम
कांग्रेस नेता चिदंबरम को सीबीआई ने 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था। सीबीआई और ईडी ने आईएनएक्स मीडिया की प्रमोटर इंद्राणी मुखर्जी और उनके पति पीटर मुखर्जी के बयानों के आधार पर चिदंबरम पर शिकंजा कसा। वह 5 सितंबर से ही तिहाड़ जेल में है।
क्या है आरोप
आरोप है कि आईएनएक्स मीडिया ग्रुप को 2007 में 305 करोड़ रुपये का विदेशी धन हासिल करने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की मंजूरी में अनियमितता बरती गई। उस दौरान पी चिदंबरम वित्त मंत्री थे।