उच्च न्यायालय ने कहा कि अवकाशकालीन अदालत किसी नई जनहित याचिका पर राहत नहीं दे सकती है। न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति आईएस मेहता की पीठ ने कहा कि यह मामला पहले से नियमित पीठ के सम्मुख चल रहा है, यह अवकाश अदालत होने के कारण इस स्तर पर आदेश नहीं दे सकती है। अदालत ने इस जनहित याचिका को एक विधि छात्र द्वारा इसी संबंध में दायर याचिका के साथ संबद्ध कर दिया।
पीठ ने कहा, अवकाशकालीन अदालत स्थगन नहीं दे सकती। नियमित खंड पीठ को इसकी सुनवाई करने दें। इसे दूसरी जनहित याचिका के साथ जोड़ा जाता है। दोनों याचिकाओं पर अब पांच अगस्त को उच्च न्यायालय में सुनवाई की संभावना है। अवकाश पीठ एक लॉ फर्म सुदीर एसोसिएट्स की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कहा गया है कि यह अधिसूचना केंद्र सरकार के भ्रष्ट कर्मचारियों के लिए ढाल बन रही है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने केंद्र सरकार के वकील जसमीत सिंह की मदद से अदालत को सूचित किया कि इस संबंध में कोई नोटिस जारी करने की जरूरत नहीं है क्योंकि नियमित पीठ पहले से इसकी सुनवाई कर रहा है। याचिका में कहा गया है कि अन्य राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो (एसीबी) के पास भ्रष्टाचार के मामले में पुलिस और केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार है।
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