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फैक्ट-चेक: क्या मोदी सरकार ने हमेशा एनपीआर और एनआरसी में संबंध को खारिज किया है?

केंद्र सरकार ने मंगलवार को दावा किया कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का विवादित राष्ट्रीय...
फैक्ट-चेक: क्या मोदी सरकार ने हमेशा एनपीआर और एनआरसी में संबंध को खारिज किया है?

केंद्र सरकार ने मंगलवार को दावा किया कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का विवादित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन इस दावे को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत कई बड़े नेता खारिज कर रहे हैं। क्या मौजूदा मोदी सरकार पहले भी एनपीआर-एनआरसी लिंक को खारिज करती रही है?... आइए, इसके बारे में जानते हैं।

दरअसल, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को घोषणा करते हुए कहा कि एनपीआर के साथ एनआरसी का कोई लेना-देना नहीं है। सरकार ने अगले साल एनपीआर की अपडेट प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 3,900 करोड़ रुपये से अधिक की मंजूरी दी है।

इसी दिन गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा कि दोनों परियोजनाएं एक-दूसरे से जुड़ी नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रव्यापी एनआरसी के मुद्दे पर अभी तक संसद या मंत्रिमंडल में चर्चा नहीं हुई है। हालांकि, सरकार के अनुसार, एनपीआर असम पर लागू नहीं होगा, क्योंकि राज्य में पहले ही एनआरसी की प्रक्रिया हो चुकी है।

हालांकि, भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने खुद कई मौकों पर दोहराया कि एनपीआर राष्ट्रव्यापी एनआरसी के लिए आधार बनने जा रहा है। दूसरी ओर, गृह मंत्री अमित शाह भी सार्वजनिक तौर पर कई बार एनआरसी की बात करते रहे हैं।

उदाहरण 1

23 जुलाई, 2014 को राज्य सभा में पूछे गए एक प्रश्न पर केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू का एक जवाब, जावड़ेकर और शाह के उन दावों का खंडन करता है, कि दोनों परियोजनाएं आपस में संबंधित नहीं है। रिजिजू का जवाब सरकार की दूसरी मंशा को बताता है।

मंत्री ने कहा, "सरकार ने अब देश में सभी व्यक्तियों की नागरिकता की स्थिति को सत्यापित करके एनपीआर की योजना के तहत एकत्रित जानकारी के आधार पर नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटीजंस (एनआरआईसी) बनाने का निर्णय लिया है।"

उन्होंने यह भी कहा, "एनपीआर के लिए जनसांख्यिकीय डेटा पहले से ही पूरे देश के लिए 2010 में एकत्र किया गया है और इसे डिजिटल भी किया गया है, जिससे 118 करोड़ का इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस बनाया गया है। लिंकर सहित 25 करोड़ से अधिक व्यक्तियों के लिए बायोमेट्रिक नामांकन पूरा हो गया है। एनपीआर के लिए बायोमेट्रिक नामांकन डेटा की नकल और शुद्धता के उद्देश्य से है।"

उदाहरण 2

रिजिजू ने नवंबर 2014 में एनआरसी और एनपीआर के बीच संबंध को एक बार फिर से राज्य सभा में डॉ टी.एन.सेमा को एक लिखित जवाब में दोहराया। उन्होंने कहा, "एनपीआर नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटीजंस (एनआरआईसी) के निर्माण की दिशा में पहला कदम है, जो हर सामान्य निवासियों की नागरिकता की स्थिति की पुष्टि करता है।"

उदाहरण 3

केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री हरिभाई परथीभाई चौधरी ने 21 अप्रैल, 2015 को लोकसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, "एनपीआर बनाने का उद्देश्य किसी निश्चित समय पर देश के सभी सामान्य निवासियों की पुष्टि करना है। प्रत्येक नागरिक की नागरिकता की स्थिति की पुष्टि करके नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटीजंस (एनआरआईसी) बनाने के लिए ‘मदर डेटाबेस’ के रूप में काम करेगा।"

उन्होंने यह भी कहा, "यह निर्णय लिया गया है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को पूरा किया जाना चाहिए और इसे तार्किक निष्कर्ष पर ले जाना चाहिए। जो नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटीजंस (एनआरआईसी) का निर्माण है और राष्ट्रीय पहचान पत्र एनपीआर में हर सामान्य निवासी की नागरिकता की स्थिति का सत्यापन करके नागरिकों को जारी किया जाएगा।"

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