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अपने भूले मगर तेंदुलकर ने सुनी इनकी फरियाद

भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए सचिन तेंदुलकर क्रिकेट के भगवान हैं और पश्चिम बंगाल के एक आदिवासी गांव के लिए भी राज्यसभा सांसद तेंदुलकर फरिश्ता ही साबित हुए जिन्होंने 51 साल पुराने उपेक्षित स्कूल के पुनर्निर्माण के लिए धन जुटाने में मदद की है।
अपने भूले मगर तेंदुलकर ने सुनी इनकी फरियाद

हेडमास्टर के अनुरोध पर तेंदुलकर ने अपने सांसद कोष से गोविंदपुर मकरमपुर स्वर्णमयी शिक्षा निकेतन के पुनर्निर्माण के लिए 76,21,050 रूपये जारी किए। यह स्कूल मिदनापुर जिले में नारायणगढ थाने के अंतर्गत आता है।

तेंदुलकर अपने सांसद कोष में से 75 प्रतिशत राशि खर्च कर चुके हैं। स्कूल की दुर्दशा से आजिज आ चुके हेडमास्टर उत्तम कुमार मोहंती ने स्थानीय सांसदों और विधायकों से मदद की मांग की लेकिन कहीं कामयाबी नहीं मिली। दस साल के संघर्ष के बाद उन्हें 2013 में तेंदुलकर को पत्र लिखने का विचार आया। उन्होंने वेबसाइट पर तेंदुलकर का ईमेल खोजा और 13 मार्च, 2013 को उन्हें पहला पत्र लिखा। उन्होंने खड़गपुर स्थित अपने घर से पीटीआई को बताया, मुझे उम्मीद नहीं थी क्योंकि पांच बार के विधायक सूर्यकांत मिश्र और सांसद प्रबोध पांडा ने मेरी नहीं सुनी।

 

एक साल बाद मोहंती इस बात को भूल गए लेकिन सात अगस्त, 2014 को तेंदुलकर ने उन्हें जवाब देकर मदद का वादा किया। तेंदुलकर ने लिखा, आपने स्कूल में लाइब्रेरी, लेबोरेटरी और लड़कियों के रूम के निर्माण के लिए जो धनराशि का सहयोग मांगा था, मैने बांद्रा के माननीय जिला आयुक्त से अनुशंसा की है कि वे कोष आपको जारी कर दें। आप अपने क्षेत्र के माननीय आयुक्त से संपर्क करें और प्रोजेक्ट का ब्यौरा अनुमान के साथ उनके पास जमा करें।

मोहंती ने सिविल इंजीनियरों की मदद से 76,21,050 का अनुमान तैयार किया जो बड़ी रकम थी। मोहंती ने कहा, वह इसके लिए तैयार हो गए। हर कोई हैरान था और किसी को भरोसा नहीं हुआ। मैं बता नहीं सकता कि मैं कितना खुश था। ईश्वर ने उन्हें मदद के लिए भेजा। स्कूल में सभी जिंदगी भर तेंदुलकर के ऋणी रहेंगे। स्कूल में निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है और इस पर एक पट्टिका लगाई जाएगी जिसपर राज्यसभा सांसद सचिन रमेश तेंदुलकर के योगदान का जिक्र होगा।

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