प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत किसी की जमीन का भूखा नहीं है बल्कि देश के जवानों ने राष्ट्र हित तथा दूसरों के लिए लड़ते हुए बलिदान दिया है। पीएम ने यह टिप्पणी ऐसे समय की है जब पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर मुद्दे को लेकर निरंतर आवाज उठा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, दो विश्व युद्धों में डेढ़ लाख भारतीय सैनिकों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया। जिनमें भारत का सीधे तौर पर कुछ भी दांव पर नहीं था। उन्होंने कहा कि भारी कीमत चुकाने के बावजूद देश विश्व को अपने बलिदान के महत्व का एहसास नहीं करा सका। विदेश में बसे भारतीयों के बारे में उन्होंने कहा, विदेश में मौजूद भारतीय समुदाय राजनीति में शामिल होने या विदेशी धरती पर सत्ता हथियाने में विश्वास नहीं रखता। बल्कि वे सामाजिक सद्भाव के सिद्धांत का पालन करके अन्य समुदायों के साथ मिल जाते हैं। पीएम ने कहा कि वह विदेश में जहां भी जाते हैं, वह भारतीय सैनिकों के स्मारकों पर यात्रा जरूर करते हैं।
प्रवासी भारतीयों के बारे में मोदी ने कहा कि विदेशों में मौजूद भारतीय समुदाय इस तरफ योगदान दे सकता है। उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे देश हैं जहां भारतीय समुदाय भारतीय मिशन से ज्यादा शक्तिशाली है और वहां लोगों के बीच भारत को लेकर अनजान डर को हटाने में मदद कर सकता है। उन्होंने कहा कि ब्रेन डेन के बारे में बहुत कुछ बोला गया है और अगर भारतीय समुदाय की मजबूती को सही दिशा में आगे बढ़ाया जाता है तो हम इसे ब्रेन गेन में बदल सकते हैं। समारोह में उन्होंने भूकंप के बाद नेपाल की जनता की मदद में तथा यमन जैसे देशों से भारतीय तथा अन्य देशों के लोगों को निकालने में विदेश मंत्रालय की भूमिका की प्रशंसा की। मोदी ने कहा कि विदेश मंत्रालय ने अपनी अलग जगह बनाई है और विश्व अब भारत को मानवीय मदद देने वाले प्रमुख मददगार के रूप में स्वीकार करता है। उन्होंने कहा कि अब अन्य देश संकटग्रस्त क्षेत्रों से अपने नागरिकों को निकालने में भारत की मदद मांगते हैं। इस मौके पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि प्रवासी भारतीय केंद्र केवल साधारण इमारत नहीं बल्कि काम की तलाश में भारत छोड़ने वाले पूर्वजों का स्मारक है। उन्होंने कहा कि भारतीय समुदाय ने विदेशी धरती पर भारतीय परंपराओं, त्यौहारों तथा भाषाओं को जीवित रखा है।