संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के भाषण पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी। भारत की स्थायी मिशन की प्रथम सचिव पेतल गहलोत ने जवाबी बयान देते हुए कहा कि पाकिस्तान "आतंकवाद का महिमामंडन" कर रहा है और झूठे नैरेटिव गढ़कर अपनी भूमिका को छिपाने की कोशिश करता है।
गहलोत ने शरीफ़ के उस दावे को खारिज किया जिसमें उन्होंने मई महीने में भारत-पाक संघर्ष को पाकिस्तान की "जीत" बताया था।
उन्होंने कहा, “9 मई तक पाकिस्तान भारत को और हमले की धमकी दे रहा था। लेकिन 10 मई को, भारतीय वायुसेना की कार्रवाई के बाद, पाकिस्तान ने सीधे युद्धविराम की गुहार लगाई। अगर टूटे हुए रनवे और जले हुए हैंगर जीत नज़र आते हैं, तो पाकिस्तान इसका आनंद ले सकता है।”
भारत ने पाकिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आतंकी संगठनों को बचाने का आरोप भी लगाया। गहलोत ने याद दिलाया कि 25 अप्रैल 2025 को पाकिस्तान ने "द रेसिस्टेंस फ्रंट" को बचाया था, जबकि यही संगठन 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 पर्यटकों की हत्या के लिए जिम्मेदार था।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का इतिहास आतंकवाद को शरण देने और उसे विदेश नीति का हिस्सा बनाने का रहा है।
गहलोत ने ओसामा बिन लादेन को वर्षों तक पाकिस्तान में छिपाए जाने, आतंकवादी कैंप चलाने की स्वीकारोक्ति और बहावलपुर व मुरिदके में भारतीय कार्रवाई में मारे गए आतंकियों का गुणगान करने की घटनाओं का भी जिक्र किया।
गहलोत ने दो टूक कहा कि भारत आतंकवाद के मामले में “ज़ीरो टॉलरेंस” की नीति पर कायम है और आतंकियों व उनके समर्थकों को किसी भी तरह की धमकी या परमाणु ब्लैकमेल से नहीं डराया जा सकता। उन्होंने पाकिस्तान से सभी आतंकी ठिकाने बंद करने और भारत को वांछित आतंकियों को सौंपने की मांग की।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के "शांति" के प्रस्ताव पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, “अगर पाकिस्तान वास्तव में शांति चाहता है तो उसे पहले आतंकवाद छोड़ना होगा। नफ़रत, कट्टरता और असहिष्णुता में डूबा हुआ देश इस मंच से धर्म और सहिष्णुता की सीख देने का हकदार नहीं है।”
अंत में गहलोत ने भारत की पुरानी नीति दोहराई कि भारत और पाकिस्तान के बीच सभी विवाद केवल द्विपक्षीय स्तर पर सुलझाए जाएंगे और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है।