सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इसके लिए उसने बीज से लेकर बाजार तक कई पहल की है। संसद में पेश आर्थिक सर्वे 2017-18 में यह बात कही गई। साथ ही आशंका जताई गई है कि जलवायु परिवर्तन के कारण किसानों की आय में 20-25 फीसदी तक की कमी आ सकती है। इससे बचने के लिए सिंचाई की व्यवस्था सुदढ़ करने, नई तकनीकों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने और बिजली, खाद सब्सिडी का समुचित तरीके से इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है।
सर्वे के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष 2017-18 में किसानों के लिए 20,339 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। सरकार ने उनकी आय बढ़ाने के लिए संस्थानात्मक स्रोतों से ऋण, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, लागत प्रबंध, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, ईनाम जैसे अनेक कदम उठाए हैं। सर्वे में कृषि क्षेत्र में उच्च उत्पादकता के लिए ऋण को महत्वपूर्ण पहलू बताया गया है। उम्मीद जताई गई है कि संस्थागत ऋण किसानों को अन्य माध्यमों से ब्याज की ऊंची दरों पर उधार लेने की मजबूरी से बचाएगा।
इलेक्ट्राॅनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (ईनाम) का जिक्र करते हुए कहा गया है कि अप्रैल 2016 में की गई इस शुरुआत का मकसद किसानों को ऑनलाइन व्यापार के लिए प्रोत्साहित करना है। कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए कृषि अनुसंधान और यांत्रिकीकरण पर जोर दिया गया है। सर्वे के अनुसार 2016 में अनाज की 155 नई उच्च पैदावार की किस्में जारी की गईंं।
सर्वे बताता है कि गांवों से पुरुषों के पलायन के कारण महिलाओं की कृषि क्षेत्र में हिस्सेदारी बढ़ रही है। ग्रामीण महिलाओं ने विभिन्न तरीके के प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए प्रबंधन का एकीकृत ढांचा विकसित किया है जिससे रोजमर्रा की जरूरतें पूरी की जाती हैं। सर्वेक्षण में कहा गया है कि अब जरूरत इस बात की है कि महिलाओं तक जमीन, पानी, क्रेडिट और प्रौद्योगिकी की पहुंच बढ़ाई जाए।
विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार, भारत की आधी आबादी 2050 तक शहरी हो जाएगी। कुल श्रम बल में कृषि श्रमिकों का प्रतिशत 2001 के 58.2 प्रतिशत से गिरकर 2050 तक 25.7 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है। इसलिए, देश में कृषि यांत्रिकी के स्तर को बढ़ाने की आवश्यकता है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, देश में छोटी जोतों की संख्या अधिक है। ऐसे में कृषि यांत्रिकीकरण का लाभ उठाने के लिए सामूहिक खेती को बढ़ावा देने की जरूरत है।