सुप्रीम कोर्ट ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती से स्मारक, अपनी मूर्तियां और हाथी की प्रतिमाएं बनाने पर जो जनता का पैसा खर्च हुआ है, उसको वापस लौटाने को कहा है। शीर्ष कोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिका की सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि मायावती ने अपनी और हाथियों की मूर्तियां बनाने में जितना जनता का पैसा खर्च किया है, उसे वापस करना चाहिए। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने की।
2 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई
सीजेआई रंजन गोगोई की अगुआई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, ‘यह हमारा विचार है कि मैडम मायावती, इन हाथियों के लिए खर्च की गई सरकारी राशि की प्रतिपूर्ति करें।' अब सुप्रीम कोर्ट 2 अप्रैल को हाथी की मूर्तियों पर खर्च की गई धनराशि संबंधी जनहित याचिका की अंतिम सुनवाई करेगा।
मायावती को मूर्तियों पर खर्च किए पैसों को सरकारी खजाने में जमा कराना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में रविकांत और अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मायावती को मूर्तियों पर खर्च सभी पैसों को सरकारी खजाने में जमा कराना चाहिए। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मायावती के वकील को कहा कि अपने क्लाइंट को कह दीजिए कि वह मूर्तियों पर खर्च हुए पैसों को सरकारी खजाने में जमा कराएं।
विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर निशाना साधती रही हैं
मायावती की ओर से उत्तर प्रदेश में बसपा शासनकाल में कई पार्कों का निर्माण करवाया गया, जिनमें बसपा संस्थापक कांशीराम, मायावती और हाथियों की मूर्तियां लगवाई गई थीं। ये मुद्दा इससे पहले भी चुनावों में उठता रहा है और विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर निशाना साधती रही हैं। बसपा शासनकाल में ये पार्क लखनऊ, नोएडा समेत अन्य शहरों में बनवाए गए थे।
इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने मांगी थी ये जानकारी
बता दें कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में उत्तर प्रदेश की सरकार से पार्क और मूर्तियों पर खर्च हुए सरकारी पैसे की जानकारी मांगी थी। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सरकार इस मुद्दे पर बसपा को घेरती रही है।