यूपी चुनाव से पहले मोदी सरकार ने बड़ा सियासी दांव खेला है। ऐसा माना जा रहा है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सूची तैयार करने का अधिकार प्रदान किया गया है। सूत्रों के मुताबिक यह विधेयक पारित होने के लिये अब संसद में पेश किया जायेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई के बहुमत आधारित फैसले की समीक्षा करने की केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें यह कहा गया था कि 102वां संविधान संशोधन नौकरियों एवं दाखिले में सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े (एसईबीसी) को आरक्षण देने के राज्य के अधिकार को ले लेता है।
साल 2018 के 102वें संविधान संशोधन अधिनियम में अनुच्छेद 338 बी जोड़ा गया था जो राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के ढांचे, कर्तव्यों और शक्तियों से संबंधित है। वहीं 342 ए किसी विशिष्ठ जाति को एसईबीसी अधिसूचित करने और सूची में परिवर्तन करने के संसद के अधिकारों से संबंधित है।
बता दें कि विपक्षी दल ने इस मुद्दें को लेकर केंद्र पर संघीय ढांचे पर आघात करने का आरोप लगाया है । वहीं सामाजिक न्याय एवं अधिकारित मंत्री वीरेन्द्र कुमार ने पिछले माह राज्य सभा में कहा कि सरकार इस मुद्दे को लेकर कानूनी विशेषज्ञों और विधि मंत्रालय से विचार विमर्श कर रही है और ओबीसी सूची का निर्धारण करने के राज्यों के अधिकारों की सुरक्षा के रास्ते ढूंढ रही है।
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें राज्यों एवं संघ क्षेत्रों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सूची तैयार करने का आधिकार प्रदान किया गया है।
-एजेंसी इनपुट