आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा गठित एक अंतर-मंत्रालयी समिति इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि जनवरी में पठानकोट आईएएफ बेस पर हुए आतंकवादी हमले को कवर करते समय एनडीटीवी इंडिया चैनल ने अहम एवं रणनीतिक रूप से संवेदनशील ब्यौरे का खुलासा किया।
गिल्ड ने एक बयान में कहा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया एनडीटीवी इंडिया का प्रसारण एक दिन के लिए बंद करने के केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की अंतर मंत्रालयी समिति के अभूतपूर्व निर्णय की कड़ी निंदा करता है और इस आदेश को तत्काल रद्द किए जाने की मांग करता है।
उसने कहा कि एनडीटीवी ने सरकार के कारण बताओ नोटिस के जवाब में कहा है कि उसकी कवरेज विवेकपूर्ण थी और इसमें ऐसी कोई सूचना नहीं थी जो शेष मीडिया ने कवर नहीं की हो और यह पहले से ही सार्वजनिक थी।
बयान में कहा गया, चैनल का प्रसारण एक दिन के लिए बंद करने का निर्णय मीडिया और अंतत: भारत के नागरिकों की स्वतंत्रता का प्रत्यक्ष उल्लंघन है और सरकार द्वारा लागू यह सख्त सेंसरशिप आपातकाल की याद दिलाती है।
इसमें कहा गया, ब्लैकआउट लागू करने के अपनी तरह के इस पहले फैसले से यह दिखाई देता है कि केंद्र सरकार ने स्वयं को मीडिया की कार्यप्रणाली में हस्तक्षेप करने और कवरेज से सहमत नहीं होने की स्थिति में मनमाने ढंग से दंडात्मक कार्रवाई करने की शक्ति दे दी है।
बयान में कहा गया, किसी भी प्रकार की गैरजिम्मेदाराना मीडिया कवरेज के लिए कार्रवाई करने को लेकर कानून की अदालत में नागरिक एवं सरकार दोनों के पास विभिन्न कानूनी उपाय हैं।
इसमें कहा गया, न्यायिक हस्तक्षेप या निरीक्षण के बिना प्रतिबंध लगाना स्वतंत्रता एवं न्याय के मौलिक सिद्धांतों का उल्लंघन है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया प्रतिबंध लगाने संबंधी आदेश वापस लिए जाने की अपील करता है।
भाषा