चीफ जस्टिस ने दिल्ली में पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में कहा, ये सियासी मामला है। हमारे यहां विधि का शासन है। जब तक विधि का शासन मौजूद है, जब तक स्वतंत्र न्यायपालिका है और जब तक अदालतें अधिकारों तथा प्रतिबद्धताओं को कायम रखे हुए हैं, मुझे नहीं लगता कि किसी चीज से डरने की जरूरत है।
न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, मैं एेसे संस्थान का नेतृत्व कर रहा हूं जो विधि के शासन को कायम रखता है और हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा की जाएगी... मुझे लगता है, हम समाज के सभी वर्गों के अधिकारों की रक्षा में सक्षम हैं। हालांकि वह असहिष्णुता पर बहस के राजनीतिक पहलुओं पर टिप्पणी से बचे। उन्हाेंने कहा कि असहिष्णुता का मुद्दा नजरिये का मामला है। सियासी लोग इसका कैसे उपयोग करते हैं, मैं कुछ नहीं कहना चाहूंगा।
उन्होंने ने कहा, हम विधि का शासन बनाए रखने और समाज के सभी नागरिकों तथा सभी धर्मों और संप्रदायों के लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। समाज के किसी वर्ग को कोई डर नहीं है।