संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) का पुनर्गठन किया गया है और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी को इस महत्वपूर्ण समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
लोकसभा सचिवालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस पुनर्गठित लोक लेखा समिति को 24 जुलाई 2019 से प्रभावी माना गया है और इसकी अवधि 30 अप्रैल 2020 को समाप्त होगी।
इस समिति में लोकसभा के 15 सदस्य तथा राज्यसभा के सात सदस्य हैं. लोकसभा सदस्यों में टी आर बालू, सुभाष चंद्र बहेरिया, सुधीर गुप्ता, दर्शना बिक्रम जरदोश, भृतहरि माहताब, अजय मिश्रा, जगदम्बिका पाल, विष्णु दयाल राम, राहुल रमेश शेवाले, राजीव रंजन सिंह, डॉ सत्यपाल सिंह, जयंत सिन्हा, बी बल्लभानेनी, राम कृपाल यादव शामिल है।
समिति में राज्यसभा से राजीव चंद्रशेखर, एम वी राजीव गौड़ा, नरेश गुजराल, भुवनेश्वर कलीता, सी एम रमेश, सुखेन्दु शेखर राय और भूपेन्द्र यादव शामिल हैं।
क्या है पीएसी
पीएसी यानी पब्लिक अकाउंट्स कमेटी का अध्यक्ष आम तौर पर विपक्ष के नेता को बनाया जाता है। कमेटी का काम सरकार के खर्च नजर रखना होता है। 1921 में मान्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार के अंतर्गत इसका गठन किया गया था। डब्ल्यूएम हेले इसके पहला अध्यक्ष बनाए गए थे।
इसके पहले भारतीय अध्यक्ष भूपेंद्र नाथ मित्रा थे। 1967 में स्वतंत्रता पार्टी के सदस्य सांसद मीनू मसानी को चेयरमैन बनाया गया। तब से विपक्षी दल से ही इसका मुखिया चुना जाने लगा। अटल बिहारी वाजपेयी, एनडी तिवारी और मुरली मनोहर जोशी इसके चेयरमैन रह चुके हैं।
क्या करती है पीएसी
पीएसी संसद की एक कमेटी है, जिसका गठन संसद के जरिए होता है। यह सरकार के खर्चों की ऑडिटिंग करती है। इसमे कुल 22 सदस्य होते हैं, 15 लोकसभा और 7 राज्यसभा से। इनका चुनाव एक साल के लिए किया जाता है। पीएसी, नियंत्रक महालेखा परीक्षक (CAG) के जरिए दिये गये लेखा परीक्षण जुड़े हुए प्रतिवेदनों की जांच करती है।