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पीएम मोदी ने समझाया, फसलों की कौन सी लागत का डेढ़ गुना दाम तय करेगी सरकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम की 42वीं कड़ी में देश को संबोधित किया।...
पीएम मोदी ने समझाया, फसलों की कौन सी लागत का डेढ़ गुना दाम तय करेगी सरकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम की 42वीं कड़ी में देश को संबोधित किया। उन्होंने किसानों, बदलते मौसम, स्वास्थ्य जैसे कई मुद्दों पर चर्चा की।

किसानों की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकार काफी जोर दे रही है। सरकार ने बजट में कहा था कि लागत का डेढ़ गुना एमएसपी दिया जाएगा लेकिन अभी तक स्पष्ट नहीं था कि किस लागत का? पीएम मोदी ने आज अपने कार्यक्रम में यह बात स्पष्ट की।

उन्होंने कहा, 'इस साल के बजट में किसानों को फसलों की उचित कीमत दिलाने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया गया है। यह तय किया गया है कि अधिसूचित फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) उनकी लागत का कम-से-कम डेढ़ गुना घोषित किया जाएगा। अगर मैं विस्तार से बताऊं तो एमएसपी के लिए जो लागत जोड़ी जाएगी उसमें दूसरे श्रमिक जो मेहनत और परिश्रम करते हैं- उनका मेहनताना, अपने मवेशी, मशीन या किराये पर लिए गए मवेशी या मशीन का खर्च, बीज का मूल्य, उपयोग की गई हर तरह की खाद का मूल्य, सिंचाई का खर्च, राज्य सरकार को दिया गया लैंड रेवेन्यू, वर्किंग कैपिटल के ऊपर दिया गया ब्याज, अगर जमीन लीज पर ली है तो उसका किराया और इतना ही नहीं, किसान जो ख़ुद मेहनत करता है या उसके परिवार में से कोई कृषि -कार्य में श्रम योगदान करता है, उसका मूल्य भी उत्पादन लागत में जोड़ा जाएगा।'

'धरती को भूलना, खुद को भूलने जैसा'

साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा, 'आने वाले कुछ महीने किसान भाइयों और बहनों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। इसी कारण ढेर सारे पत्र, कृषि को लेकर के आए हैं। इस बार मैंने दूरदर्शन का डीडी किसान पर जो किसानों के साथ चर्चाएं होती हैं,उनके वीडियो भी मंगवा कर देखे और मुझे लगता है कि हर किसान को दूरदर्शन की ये डीडी किसान चैनल से जुड़ना चाहिए, उसे देखना चाहिए और उन प्रयोगों को अपने खेत में लागू करना चाहिए। महात्मा गाँधी से लेकर के शास्त्री जी हों, लोहिया जी हों, चौधरी चरण सिंह जी हों, चौधरी देवीलाल जी हों- सभी ने कृषि और किसान को देश की अर्थव्यवस्था और आम जन-जीवन का एक अहम् अंग माना। मिट्टी, खेत-खलिहान और किसान से महात्मा गांधी को कितना लगाव था,ये भाव उनकी इस पंक्ति में झलकता है, जब उन्होंने कहा था-

‘To forget how to dig the earth and to tend the soil, is to forget ourselves.’

यानी, धरती को खोदना और मिट्टी का ख्याल रखना अगर हम भूल जाते हैं, तो ये स्वयं को भूलने जैसा है। इसी तरह, लालबहादुर शास्त्री जी पेड़, पौधे और वनस्पति के संरक्षण और बेहतर कृषि-ढांचे की आवश्यकता पर अक्सर ज़ोर दिया करते थे। डॉ० राम मनोहर लोहिया ने तो हमारे किसानों के लिए बेहतर आय, बेहतर सिंचाई-सुविधाएं और उन सब को सुनिश्चित करने के लिए और खाद्य एवं दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर जन-जागृति की बात कहीथी। 1979 में अपने भाषण में चौधरी चरण सिंह जी ने किसानों से नई तकनीकी का उपयोग करने,नए नवाचार  करने का आग्रह किया, इसकी आवश्यकता पर बल दिया।'

मेघालय का उदाहरण

मोदी ने कहा, 'मैं पिछले दिनों दिल्ली में आयोजित कृषि-उन्नति-मेले में गया था। वहां किसान भाई-बहनों और वैज्ञानिकों के साथ मेरी बातचीत, कृषि से जुड़े अनेक अनुभवों को जानना, समझना, कृषि से जुड़े इनोवेशन के बारे में जानना - ये सब मेरे लिए एक सुखद अनुभव तो था ही लेकिन जिस बात ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया वो था मेघालय और वहां के किसानों की मेहनत। कम क्षेत्रफल वाले इस राज्य ने बड़ा काम करके दिखाया है। मेघालय के हमारे किसानों ने वर्ष 2015-16 के दौरान, पिछले पांच साल की तुलना में रिकॉर्ड पैदावार की है। उन्होंने दिखाया है कि जब लक्ष्य निर्धारित हो, हौसला बुलंद हो और मन में संकल्प हो तो उसे सिद्ध कर सकते हैं, करके दिखाया जा सकता है। आज किसानों की मेहनत को तकनीक का साथ मिल रहा है, जिससे कृषि-उत्पादकको काफी बल मिला है। मेरे पास जो पत्र आये हैं, उसमें मैं देख रहा था कि बहुत सारे किसानों ने एमएसपी के बारे में लिखा हुआ था और वो चाहते थे कि मैं इस पर उनके साथ विस्तार से बात करूं।'

खेत और मार्केट के बीच कनेक्टिविटी

उन्होंने कहा, 'इसके अलावा, किसानों को फसल की उचित कीमत मिले इसके लिए देश में एग्रीकल्चर मार्केटिंग रिफॉर्म पर भी बहुत व्यापक स्तर पर काम हो रहा है। गांव की स्थानीय मंडियां, थोक बाजार और फिर वैश्विक बाजार से जुड़े - इसका प्रयास हो रहा है। किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए बहुत दूर नहीं जाना पड़े - इसके लिए देश के 22 हजार ग्रामीण हाटों को ज़रुरी संरचना के साथ उन्नत करते हुए एपीएमसी और ई-नाम प्लेटफॉर्म के साथ इंटिग्रेट किया जाएगा। यानी एक तरह से खेत से देश के किसी भी मार्केट के साथ कनेक्टिविटी हो, ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है।'

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