लगभग चार माह पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। यह सौदा 50 प्रतिशत ऑफसेट (सौदे की कुल कीमत के 50 प्रतिशत के बराबर भारतीय इकाइयों से खरीद) के प्रावधान के साथ आता है, जो घरेलू उद्योग के लिए अप्रत्याशित लाभ होगा क्योंकि इससे कम से कम तीन अरब यूरो का कारोबार होगा और भारत में नए रोजगारों का सृजन होगा। भारतीय पक्ष शुरुआती कीमत को नीचे लाने की दिशा में मोलभाव की पूरी कोशिश करता रहा है। अनुबंध पर हस्ताक्षर में देरी पर सवाल उठने के बावजूद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने दबाव के आगे झुकने से इंकार कर दिया था।
दोनों देशों के बीच के मोलभाव के सबसे मुश्किल हिस्से की शुरूआत जुलाई 2015 में हुई, जिसका उद्देश्य इस सौदे के तहत फ्रांसीसी पक्ष को 50 प्रतिशत ऑफसेट के लिए राजी करना था। शुरूआत में राफेल का निर्माता डसॉल्ट एविएशन करार से जुड़ी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए अपने अनुबंध की कुल कीमत के 30 प्रतिशत को भारतीय संस्थाओं में पुन: निवेश करने के लिए सहमत होने के लिए तैयार था। प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति ओलांद के बीच पिछले साल के अंत में फोन पर हुई बातचीत के बाद फ्रांसीसी पक्ष सौदे की कीमत के 50 प्रतिशत के निवेश पर अंतत: राजी हो गया। विमानों, उपकरणों की कीमतों और अन्य मुद्दों पर व्यवसायिक बातचीत इस साल जनवरी के मध्य में शुरू हुई थी।
एक रक्षा सूत्रा ने बताया, यह कहना सही है कि कीमत से जुड़े मतभेद लगभग सुलझ गए हैं। यदि सब चीजें तय कार्यक्रम के अनुरूप रहती हैं तो अगले माह सौदा हो सकता है। सूत्रों ने बताया कि संप्रग की निविदा के अनुसार, 36 राफेलों की कीमत 65 हजार करोड़ रूपए से कुछ ज्यादा की पड़ती है। इसमें मूल्य वृद्धि और डॉलर की कीमत को ध्यान में रखा गया है। इसमें उन बदलावों पर आने वाला खर्च भी शामिल है, जो भारत इन विमानों में चाहता है। सूत्रों ने कहा, कीमत को 59 हजार करोड़ रूपए से नीचे लाने की कोशिश की जा रही है। मई के अंत तक सौदा हो जाने की उम्मीद है। प्रस्तावित सौदे के तहत, डसॉल्ट एविएशन से इतर फ्रांसीसी कंपनियां विभिन्न एयरोनॉटिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स की प्रौद्योगिकियां उपलब्ध करवाएंगी, जो ऑफसेट से जुड़ी जिम्मेदारियों के तहत होगा। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां उपलब्ध करवाने के इस क्रम में सैफरन एंड थेल्स जैसी कंपनियां डसॉल्ट का साथ देंगी।