सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र से कहा कि जम्मू कश्मीर में जल्द से जल्द सामान्य स्थिति सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किए जाएं, ऐसा करते समय राष्ट्रीय सुरक्षा को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। वहीं सुनवाई के दौरान जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में लोगों को अपील करने में मुश्किल आने के आरोप भी लगे। इस पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि यदि आवश्यकता हुई तो वे खुद जम्मू-कश्मीर का दौरा कर सकते हैं। उन्होंने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से इस पर रिपोर्ट भी मांगी है।
कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने केंद्र से कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सभी प्रयास करने को कहा। पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से हलफनामा दाखिल कर उठाए गए कदमों का ब्योरा भी मांगा। अटॉर्नी जनरल ने इस दौरान अदालत से दो सप्ताह का समय मांगा है। बता दें कि कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन ने याचिका दाखिल की थी जिसमें उन्होंने कश्मीर में मीडिया पर लगाए प्रतिबंधों को हटाने की बात कही थी।
'...तो मैं खुद श्रीनगर का दौरा करूंगा'
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और एस एस ए बोबडे और एस ए नाजीर की पीठ ने यह भी कहा कि चूंकि तथाकथित बंद घाटी में ही है, इसलिए इसे जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट द्वारा निपटाया जा सकता है।
लोग हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने में असमर्थ हैं जैसे इन आरोपों पर गोगोई ने कहा कि यह बहुत गंभीर है। उन्होंने कहा, "अगर लोग हाई कोर्ट से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं, तो मैं खुद श्रीनगर का दौरा करूंगा"।
जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से आरोपों पर रिपोर्ट मांगी है। दो बाल अधिकार कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने अदालत में आरोप लगाया कि लोगों को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना मुश्किल हो रहा है।
साथ ही सीजेआई ने वकील को चेतावनी दी कि अगर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की रिपोर्ट इसके विपरीत संकेत देती है, तो "परिणाम" के लिए तैयार हो जाएं।
88 प्रतिशत से अधिक इलाकों में प्रतिबंध हटा: केन्द्र
इस बीच केंद्र ने अदालत को बताया कि एक भी गोली नहीं चलाई गई और कश्मीर संभाग के 88 प्रतिशत से अधिक पुलिस थानों में प्रतिबंध हटा दिए गए हैं।जम्मू और कश्मीर राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने का पीठ को आश्वासन देते हुए केंद्र ने कहा कि सरकार राज्य के लोगों को सभी प्रकार की सहायता कर रही है। केंद्र के शीर्ष अदालत ने कहा, "सभी कश्मीर के समाचार पत्र चल रहे हैं। दूरदर्शन और अन्य निजी टीवी चैनल, एफएम नेटवर्क काम कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "मीडिया पास प्रतिबंधित क्षेत्रों में पहुंच के लिए दिए जाते हैं और पत्रकारों को फोन और इंटरनेट तक पहुंच दी जाती है।"
'स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू रूप से जारी'
स्वास्थ्य सेवाओं के मामले पर, उन्होंने कहा कि 5.5 लाख से अधिक लोगों ने अब तक चिकित्सा उपचार प्राप्त किया है और भसीन द्वारा इस दावे को खारिज कर दिया है कि लोगों को जम्मू और कश्मीर में चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
वकील ने कहा, "सिजेरियन और अन्य ऑपरेशन जैसे प्रमुख सर्जरी सामान्य रूप से जम्मू और कश्मीर में किए जा रहे हैं।"
अदालत ने केन्द्र से हलफनामा दाखिल करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से हलफनामे पर इन कदमों का ब्योरा देने के लिए कहा। कोर्ट ने कहा कि प्रतिबंधों को बहाल करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। कोर्ट ने अब याचिका में सुनवाई 30 सितंबर तक के लिए टाल दी है।