संघ के सह सर कार्यवाह कृष्ण गोपाल ने आजादी से पहले एक हजार साल के विदेशी शासन की ओर इशारा करते हुए संघ के कार्यक्रम में कहा, एक हजार साल का कठिन दौर सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक बदहाली का दौर था और एेसा लग रहा था कि हिंदू समाज तितर बितर हो गया है, बहुत कुछ टूट गया है और छूट गया है। हजार वर्ष की यह यात्रा लंबी और संघर्षपूर्ण रही और आरएसएस की स्थापना हिंदू समाज के स्वास्थ्य को बदलने के लिए हुई।
कृष्ण गोपाल ने कहा, भारत के बाहर की धरती में जो चैरिटी होती है उसमें निहितार्थ जुड़े होते हैं और जब चैरिटी में निहितार्थ छिपे होते हैं तो सेवाभाव नहीं रह जाता है, सेवा भाव के अभाव में वह व्यापार बन जाता है, जबकि इसके उलट भारत में नि:स्वार्थ सेवा का दर्शन है। उन्होंने कहा, हमारे समक्ष एक हजार साल का बैकलाॅग है, जिसे अब पूरा करना है। अब हिंदू समाज अपनी स्वाभाविक शक्ति, मेधा और स्वाभिमान से खड़ा है। संघ हिंदू समाज के साथ देश और दुनिया के सभी लोगों की चिंता करेंगे।
कार्यक्रम से इतर संघ के अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख अजीत प्रसाद महापात्रा ने पीटीआई भाषा से बातचीत में कहा, जो व्यक्ति या संस्था भारत के नाम पर आते हैं सेवा करने लेकिन भारत के लिए नहीं बल्कि अपने देश के काम करते हैं, उन पर आपत्ति है। विदेशी मिशनरियों के भारत में काम करने का आरएसएस द्वारा विरोध करने के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, आप मेरे बंधु हैं लेकिन आपने स्वार्थ के लिए मेरे परिवार, समाज को तोड़ोगे तो यह ठीक नहीं है। उन्होंने कहा, विदेशी मिशनरी जो सेवा भाव से कुछ न कुछ करने आते हैं, उनका स्वागत है। ईसाई मिशनरियों द्वारा देश में बड़े पैमाने पर स्कूल और अस्पताल खोले जाने के बारे मेंे एक सवाल के जवाब में महापात्रा ने कहा, वे इंग्लिश मीडियम स्कूल खोलते हैं। किसी को कोई भाषा सीखने की मनाही नहीं है। यह अच्छा ही है। लेकिन भाषा सिखाते सिखाते, अगर संस्कृति से भटकाने का प्रयास होगा तब यह ठीक नहीं है। मिशनरियों द्वारा किये गए कथित धर्म परिवर्तन के जवाब में अब संघ परिवार की ओर से चलाये जा रहे घर वापसी के बारे में उन्होंने कहा, हम धर्म परिवर्तन या घर वापसी की चिंता नहीं करते। हम छोटी रेखा के सामने बड़ी रेखा खींचने में विश्वास करते हैं। हम किसी को टारगेट नहीं करते। हमारा लक्ष्य बड़ा है। हम देश में अच्छा माहौल तैयार करने के भाव से चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में हमें अपने कार्यकर्ताओं के परिवार का और विस्तार करने की जरूरत है। हमें प्रतिभावान कार्यकर्ताओं को जोड़ना होगा।